मंगलवार, अप्रैल 07, 2020

नभ को कर रहा विदीर्ण:कु.मीनाक्षी पटेल

minakshi patel


नभ को कर रहा विदीर्ण, 

काली घटा से धरा क्षीण।
कोरोना वायरस को देख, 
मानव हो गया है जीर्ण।।

टकटकी लगाए चातक की तरह, 
हटे यहाँ से कोरोना की सतह।
आज सब अपने घरों में घुसे, 
महामारी भयानक की वजह।।

क्षण-क्षण का सबको हो रहा घूंट, 
संकट का बादल आज थर्राया।
किसी से गले लगाकर न मिलना, 
कोरोना ने अपना परचम लहराया।।

इधर अपनों की चाहत में चाले, 
भूख से व्याकुल न तन में सुध।
चाहे टूटे बादल या बिजली, 
जैसे रखवाला करेगा बुद्ध।।

आस लगाये अपने घरों को चले, 
जीये या मरे जहाँ से जीवन पले।
आये थे पेट पालने हम शहर, 
लगा सभी हैं पत्थरों के ढले।। 

विकराल सा अदृश्य रूप है, 
यह चाहे खड़ा रहे सामने।
रक्त की जाँच से पता चलता 
आ गया है कालग्रास ले जाने।।

बच सको तो बचाओ सभी को, 
सब कोई सावधानी रखो।
गर्म भोजन व खूब पानी पियो 
साबुन से अपना तन साफ रखो।।
रचना:कु.मीनाक्षी पटेल बी.एस सी नर्सिग पुरैना ब्योहारी शहडोल म.प्र.

[इस ब्लॉग में प्रकाशित रचनाएँ नियमित रूप से अपने व्हाट्सएप पर प्राप्त करने तथा ब्लॉग के संबंध में अपनी राय व्यक्त करने हेतु कृपया यहाँ क्लिक करें। कृपया  अपनी  रचनाएं हमें whatsapp नंबर 8982161035 या ईमेल आई डी akbs980@gmail.com पर भेजें,देखें नियमावली ]

तनावमुक्त जीवन कैसे जियें?

तनावमुक्त जीवन कैसेजियें? तनावमुक्त जीवन आज हर किसी का सपना बनकर रह गया है. आज हर कोई अपने जीवन का ऐसा विकास चाहता है जिसमें उसे कम से कम ...