रविवार, अप्रैल 05, 2020

दो कविताएं:कोमल चंद (शोध छात्र)

कोमल चंद
(एक)
किसान
वर्षा धूप और यह आंधी,
तुमने सब मेहनत से साधी।
भूख मिटाई खाकर आधी,
नदियों की धाराएं बांधी।

भूख प्यास सब तेरी मर्जी, 
कभी नहीं होती तुम्हें सर्दी।
तेरी ममता के ममत्व में, 
देश की रक्षा करती वर्दी।

भूल गया तू सब सुख अपने, 
आंखों को नहीं आते सपने।
मेहनत कर के खेत सजाया,
सब लोगों ने भोजन पाया।

देव लोक में विष्णु देव हो 
धरती में सुख दाता,
तेरी जय हो अन्नदाता।
तेरी जय हो अन्नदाता।
   
      (दो)
         आधुनिकता
उतार दो सब जीर्ण वसन, 
नूतन का श्रृंगार करो।
श्रम जाए न व्यर्थ, 
कुछ हो न अनर्थ।
ऐसा कुछ उपकार करो।
उतार दो सब जीर्ण वसन,
नूतन का श्रृंगार करो।।

जो बने प्रगति की बाधा,
जिनसे कोई काम न साधा।
वह जीव आज है आधा,
क्यों रहता है वह राधा।
उतार दो सब जीर्ण वसन, 
नूतन का श्रृंगार करो।।

जग हित में अब काम करो,
नवयुग की शुरुआत करो।
दुख सहो आप निज तन में,
दिनों को राह दिखाने में।
अन्याय का निश दिन प्रतिकार करो,
हो सके तो कारण नष्ट करो।
उतार दो सब जीर्ण वसन ,
नूतन का श्रृंगार करो।।

रचना: कोमल चंद,
(शोध छात्र)
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा
मोबाइल 7610103589 
[इस ब्लॉग पर प्रकाशित रचनाएँ नियमित रूप से अपने व्हाट्सएप पर प्राप्त करने तथा ब्लॉग के संबंध में अपनी राय व्यक्त करने हेतु कृपया यहाँ क्लिक करें। कृपया  अपनी  रचनाएं हमें whatsapp नंबर 8982161035 या ईमेल आई डी akbs980@gmail.com पर भेजें,देखें नियमावली ]

कोई टिप्पणी नहीं:

तनावमुक्त जीवन कैसे जियें?

तनावमुक्त जीवन कैसेजियें? तनावमुक्त जीवन आज हर किसी का सपना बनकर रह गया है. आज हर कोई अपने जीवन का ऐसा विकास चाहता है जिसमें उसे कम से कम ...