रविवार, मार्च 29, 2020

हवाओ में जहर : रमेश प्रसाद पटेल


    हवाओ में जहर 

जग में भयानक संकट,
कोरोना ने फैला दिया बडा अकार है।
हवाओ में जहर,
खतरे में जीवन मझधार है।।

मौत के द्वार पर खड़े,
रक्षक कोई नजर न आता।
जागे जन-जन धरा के,
सावधानी सुरक्षा दिलाता।।

तुफानो से लहराता,
यह सागर सा अपार है।
हवाओं में जहर,
खतरे में जीवन मझधार है।।

चीन की चिंगारी,
छीन लिया खुशियां सारी।
कहते है वेदों में सभी,
शिवजी को भी विषप्यारी।।

बिच्छू से भी जहरीला,
डस लेने वाला नगीना हार है।
हवाओं में जहर,
खतरे में जीवन मझधार है।।

डर गये प्यार से जीना,
कैसा फैला दिया जहर।
खतरे में है जीवन,
देख रहे हैं हर प्रहर।।

काल-काल व महाकाल,
जैसे कर रहा इन्तजार है।
हवाओं में  जहर,
खतरे में जीवन मझधार है।।

काल के  ग्रसने की पीड़ा,
झेल रहे आँसुओ को बहा।
कोरोना का यह दृश्य,
मानव से प्रकृति ने कहा।।

करोगे छेड़खानी,
धरा में न होगी शुक्रगुजार है।
हवाओं में जहर,
खतरे में जीवन मझधार है।।

सजग होकर राष्ट्र,
नगाड़े-तालिया बजाने लगे।
प्राण घातक है कोरोना,
दवा तरकीब आजमाने लगे।।

संयम व सावधानी ही,
सुरक्षा का आधार है।
हवाओं में जहर,
खतरे में जीवन मझधार है।।

मानव को तांडव दिखा,
प्रलय करते हुए बढ़ रहा।
मानो नीद से उठकर,
कुम्भकरण  भक्षण कर रहा।


ज्ञान चक्षु को खोलो,
विज्ञान ही पहरेदार है।
हवाओं में जहर,
खतरे में जीवन मझधार है।।

पुरैना, ब्योहारी जिला शहडोल (मध्यप्रदेश)
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