एड्स
रमेश प्रसाद पटेल
विश्व एड्स दिवस, 1988 के बाद से 1 दिसंबर को हर साल मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य एचआईवी संक्रमण के प्रसार की वजह से एड्स महामारी के प्रति जागरूकता बढाना, और इस बीमारी से जिसकी मौत हो गई है उनका शोक मनाना है।(विकिपीडिया से)
न है उपचार इसका, यह समझ अंधेरा छाया।।
यह अनैतिक संपर्क से एक दूजे में है आता,
एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम कहलाता।।
एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम कहलाता।।
समझदारी रखो, नहीं जग से बच पाएगी काया,
नहीं उपचार इसका, यह समझ अंधेरा छाया।
संक्रमित सिरिंज या सुई से व्यक्ति में स्थान पाता।
रक्त की जांच कराने पर ही यह पहचान में आता।
यह संकट विश्व में एक दानव बन कर आया,
न है उपचार इसका यह समझ अंधेरा छाया।
न है उपचार इसका यह समझ अंधेरा छाया।
दवा कोई भी वैज्ञानिक न कर पाए तैयार,
सावधानी ही एकमात्र जीवन का आधार।
सावधानी ही एकमात्र जीवन का आधार।
समझदारी अपनाकर, मंगलमय जीवन बनाया।
न है उपचार इसका यह समझ अंधेरा छाया।
रचना:रमेश प्रसाद पटेल, माध्यमिक शिक्षक
रचना:रमेश प्रसाद पटेल, माध्यमिक शिक्षक
पुरैना, ब्योहारी जिला शहडोल (मध्यप्रदेश)
[इस ब्लॉग पर प्रकाशित रचनाएँ नियमित रूप से अपने व्हाट्सएप पर प्राप्त करने तथा ब्लॉग के संबंध में अपनी राय व्यक्त करने हेतु कृपया यहाँ क्लिक करें। अपनी रचनाएं हमें whatsapp नंबर 8982161035 या ईमेल आई डी akbs980@gmail.com पर भेजें, देखें नियमावली ]
[इस ब्लॉग पर प्रकाशित रचनाएँ नियमित रूप से अपने व्हाट्सएप पर प्राप्त करने तथा ब्लॉग के संबंध में अपनी राय व्यक्त करने हेतु कृपया यहाँ क्लिक करें। अपनी रचनाएं हमें whatsapp नंबर 8982161035 या ईमेल आई डी akbs980@gmail.com पर भेजें, देखें नियमावली ]
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें