1.
बदल रहो है समाज हमारा ,आओ खुशियां मनाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो......
कुम्भकरणी नींद जो सोवत हैं , उन्हें भी आज जगाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो.....
2.
सामाजिक कुरीतियां और आडम्बर मिलकर दूर भगाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो....
बच्चों को शिक्षा दिलवाई उन्हें भी शिक्षित करवाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो...
3.
बेरोजगारी दूर भगाई कौंनौं रोजगार अपनाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो...
खूब करो कठिन परिश्रम होगी बहुत कमाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो.....
4.
घर मुहल्ले गांव वालों से कबहूं न करियो लड़ाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो
हो सके तो खुशियां बांटो उनकी करो बड़ाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो.....
5.
चारों तरफ शांति माहौल बने ऐसी जुगत भिड़ाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो....
भाईचारा और मुहब्बत की सब देने लगें दुहाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो.....
रचनाकार:धर्मेन्द्र कुमार पटेल
नौगवां, मानपुर जिला-उमरिया(मध्यप्रदेश)
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2 टिप्पणियां:
Bahut badhiya get
खूबसूरत पंक्तियां, और बहुत अच्छा संदेश।
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