मिश्री ही घोलूँगा, पहले शुरुआत तो हो।
रहने दो तुम कुछ कहना, बेमन-बेमन।
कुछ भी कह देना, दिल में जज्बात तो हो।
कुछ हुआ नहीं, दिल को छुआ नहीं
रहने दो मिलना, दिलों की मुलाकात तो हो।
नींद उड़ा दूँगा इन भोली-भाली आँखों की,
मैं भी इन्तजार में हूँ कि पहले रात तो हो।
फंसने से डरता कौन है, तुम्हारे खेल में,
तुम्हारी तरफ से बिछाई गई बिसात तो हो।
तुमसे पहले भी आये,गए निकल सब दिल से,
धुल जाता है कीचड़ भी, जमके बरसात तो हो।
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