बुधवार, नवंबर 13, 2019

वर्तमान का महत्व:संदीप सिंह का आलेख


वर्तमान का महत्व
प्रायः समय के महत्व की चर्चा की जाती है. हमारे महापुरुषों ने भी अपने विचारों में समय के महत्व को शामिल किया है. महात्मा गाँधी कमर में घडी लटकाया करते थे जो समय का प्रतीक थी. परन्तु क्या हम जानते हैं कि समय  भूत और भविष्य में नहीं होता। समय केवल वर्तमान में ही होता है। जीवन का अस्तित्व समय से बाहर और समय से भिन्न नहीं होता है। जीवन वर्तमान में ही जिया जा सकता है। जीवन के सुख-दुख वर्तमान में ही होते हैं। जीवन की सफलता-असफलता वर्तमान में ही होती है। वर्तमान क्या है? आज और अभी! यही तो वर्तमान है। यदि हमारा आज अच्छा है तो आने वाला कल भी अच्छा होगा।

यदि हमारा आज अच्छा नहीं है तो आने वाला कल भी अच्छा नहीं होगा। भूतकाल की भूलों को सुधारने तथा भविष्य का निर्माण करने के लिए भी हमें वर्तमान पर ध्यान देना होगा। उसका समुचित उपयोग करना होगा। वर्तमान का उपयोग करने के लिए सबसे पहले वर्तमान  के महत्व को समझना होगा। मन को एक ही ठीक-ठीक समझा देना होगा कि आज और अभी के अतिरिक्त जीव निर्माण का, सुख-शांति एवं सफलता का और कोई अवसर हमें नहीं मिलेगा, नहीं मिल सकता। हम जीवन में कुछ भी होना चाहते हैं, करना चाहते हैं जो कुछ पाना चाहते हैं, उसका प्रारंभ आज और अभी करें। बड़ी से बड़ी योजना, बड़े से बड़ा कार्य का प्रारंभ जब भी होता है वह वर्तमान में ही होता है। कोई भी महान कार्य असंख्य छोटे-छोटे कार्यों का ही सामूहिक परिणाम होता है।

होता यह है कि हम मन में अनेक योजनायें बनाते हैं और उसके बारे में मन ही मन विचारते रहते हैं. हम सोचते हैं कि एक बार अच्छी तरह से योजना बना लें, फिर उस पर अमल करना शुरू कर देंगे. किन्तु  न तो हमारा समय स्थिर होता है और न ही विचार. जब हम उस विचार पर अमल करना शुरू नहीं करते तो वह समय जो उस विचार का वर्तमान होता है भूत में बदल जाता है और उसके भूत में बदलते ही विचार भी भूत के गर्त में समाने लगता है. भविष्य का जो वर्तमान होता है उसका नए विचारों के साथ आगमन होता है और इसी तरह वह भी एक दिन भूत के गर्त में समां जाता है.

एक बार वर्तमान के महत्व को हृदय में लेने पर भीतर से ही कार्य की प्रेरणा आने लगती है। इस प्रेरणा का तत्काल उपयोग कर लेना चाहिए। क्योंकि प्रेरणा भी वर्तमान में ही होती है। प्रेरणा को कार्य की परिणति करने पर  ही वह सफल होती है। अन्यथा प्रेरणा भूतकाल का एक भाव या विचार बनकर व्यर्थ हो जाती है। उसकी स्मृति मात्र रह जाती है। वर्तमान का सदुपयोग करने के लिए अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेना आवश्यक है। लक्ष्य निर्धारित कर उसकी प्राप्ति के उपायों पर विचार कर उसके संबंध में आवश्यक सूचनाएं एकत्रित कर लेना चाहिए। और सूचना  का सदुपयोग ना कर पाने पर जीवन केवल अपूर्ण इच्छाओं, असफल योजनाओं की एक दुखांत गाथा बनकर रह जाता है। यह स्वर्णिम अवसर है वर्तमान में कार्य करने का।
अतः आज और अभी ही सुखी समृद्ध व सफल जीवन जीने का सुअवसर है ;आज और अभी ही हम सुख-शांति के अधिकारी हो सकते हैं।
आलेख: संदीप सिंह कंवर
सहायक ग्रेड-3,
Office of The Chief Engineer Public Health Engineering Department Zone Jagdalpur
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