मुझ पर हँसते हो
क्यूं मेरा मजाक बनाते हो ,
जितना मै खुद को समझती हूँ
इतना तुम कहाँ समझते हो ।
मेरा क़ाबिलियत पर भरोसा है मुझे
क्योंकि खुद के लिए जीना है मुझे ,
इस बात को तुम कहाँ समझते हो
मुझे नादान समझकर तुम खुद को
कितना सयाना समझते हो ?
शोभा तिवारी ✍
काशीपुर उत्तराखंड 😊
मौलिक स्वरचित और अप्रकाशित रचना
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