सोमवार, अगस्त 03, 2020

~राखी का मूल्य~ : मनोज कुमार चंद्रवंशी

~ राखी का मूल्य~

वतन का प्रहरी  बनकर अपना कर्तव्य निभाना  भैया।
स्वर्णिम स्वप्न सजायी हूँ राखी का मूल्य चुकाना भैया॥

       भाई-बहन का  प्यार न रहे  अधूरा,
       हृदय में  कुछ अरमान  सजायी हूँ।
       अडिग रहो विकट परिस्थितियों में,
       प्रेम का रक्षा कवच लेकर आयी हूँ॥

वतन का प्रहरी बनकर अपना कर्तव्य निभाना भैया।
कुछ अरमान  सजायी हूँ  राखी  में तुम  आना भैया॥

        सजल   नयन  टकटकी  लगाए,
        राह   निरखि  रही   हूँ   बारंबार।
        अनमोल पवन  रिश्तों का बंधन,
        भैया तुम हो मेरी जीवन पतवार॥

वतन का प्रहरी बनकर अपना कर्तव्य निभाना भैया।
स्वर्णिम स्वप्न सजायी  हूँ  राखी  में  तुम आना भैया॥

          कर्तव्य मार्ग  में  अविचल अटल,
          राखी के बंधन को निभाना भैया।
          दृढ़  संकल्प  का  गाँठ  बांधकर,
          स्नेह छाया  से दूर न जाना भैया॥

वतन का प्रहरी बनकर अपना कर्तव्य  निभाना भैया।
कुछ  अरमान  सजायी हूँ  राखी  में तुम  आना भैया॥

          सरहद  से  कब  आओगे  भैया,
          राखी का सुंदर थाल सजायी हूँ।
          पावन  रिश्तों   का  डोर  बांधने,
          तुम्हारे   आंगन   में   आयी   हूँ॥

वतन का प्रहरी बनकर अपना कर्तव्य निभाना भैया।
स्वर्णिम सपना सजायी हूँ  राखी  में तुम आना भैया॥

                         रचना✍
                स्वरचित एवं मौलिक
               मनोज कुमार चंद्रवंशी
            जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
           रचना दिनाँक-02|08|2020

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