विटप
तुझसे बहार आए,
तुझसे आहार आए |
तुझसे नीर-हवाएं ,
एक पौधा हम लगाएं ||
सब जीवो का आधार,
पानी,पवन और वयार |
पर्यावरण की है पुकार,
दो बच्चेऔर वृक्ष हजार ||
विटप विपुलता से भरे,
बारिस निश्चित होता है |
विनयशील मानव बने ,
चहुँ दिशि शीतल होता है ||
आज न काटें वृक्ष हम,
आगे की परवाह करें |
वृक्ष हमारे मित्र सम ,
नित जीवन निर्वाह करें ||
हरे-भरे वृक्ष जहाँ पर,
बच्चे मन मौज उड़ाते हैं |
वृक्षों को प्रकृति मानकर,
निस दिन जल चढ़ाते हैं ||
डी.ए.प्रकाश खाण्डे, अनूपपुर म.प्र.
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