भूतों का
संसार
भूतों का संसार निराला,
कभी किसी को समझ न आए।
भूतों का संसार न देखा
फिर भी सब को डर लग जाए॥
इनकी है इक अलग ही दुनिया
लोगों का यह कहना है।
बहुत लोग भूतों को मानें
अपनी-अपनी श्रृद्धा है॥
कई जगह भूतों के भ्रम में
लोनों ने जान गवाए हैं।
झाड़ फूंक करवाके लोग
बाद में पछ्ताए हैं॥
भूत प्रेत को कभी न देखा
फिर कुछ को दिखता है।
झूठ-मूठ की बातें करते
सुनने वाला डरता है॥
गाँव-गाँव की यह परेशानी
भूतों पर विश्वास करें।
दिन में सोयें रात में
जागें
उल्लू जैसा काम करें॥
भूत-प्रेत से भरा है तन मन
अंध विश्वास की बात करें।
लोगों को देखे भूत ही समझे
डर-डर कर वह चला करे॥
भूत-प्रेत न होता जग में
होता है यह मन का भ्रम।
अच्छा सोचो, अच्छा समझो
अच्छा ही होगा हर दम॥
रचना- पंकज कुमार यादव (ई.टी. प्रथम वर्ष)
ग्राम-बैहार, पोस्ट-गौरेला, थाना-
जैतहरी,
जिला –अनूपपुर
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1 टिप्पणी:
अति सुंदर रचना
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