मंगलवार, अप्रैल 21, 2020

आनंद के घर में :रजनीश (हिन्दी प्रतिष्ठा)

आनंद के घर में
-रजनीश  (हिन्दी प्रतिष्ठा )
कितना,अच्छा होता
जब गूँगे बातें करते
अंधे देखने लगते
लँगड़े चलने लगते
तो सच, सब सजीव लगता।


कितना आनंद आता
जब तितिलियाँ हमसे बातें करते
हवाएँ हमसे अठखेलियाँ करते
आँखों से खुषियों की बरसात होती
खेतों से मिट्टी चलकर हमारे द्वार आते
सुरमयी संगीत बजते
तो सच, आनंद ही आनंद प्रस्फुटित होता।

कितना अच्छा होता
जब रंग-बिरंगे फूल हमसे बातें  करते
और हमसे गले मिलाते
नदियों की कल-कल मधुर धुन
हमारे हृदय में घर बना लेते
बसंत और सावन दोनों एक साथ आते
कोयल और मयूरों की षीतल सुर चारों ओर बिखरती
तो सच,यह जीवन स्पंदित होने लगता।

कोई टिप्पणी नहीं:

तनावमुक्त जीवन कैसे जियें?

तनावमुक्त जीवन कैसेजियें? तनावमुक्त जीवन आज हर किसी का सपना बनकर रह गया है. आज हर कोई अपने जीवन का ऐसा विकास चाहता है जिसमें उसे कम से कम ...