विश्व पुस्तक दिवस मां,
हम सबका एक बात बताई।
अच्छे से पुस्तक का राखी,
मनवय करी प्रान केर नाई ॥
पुस्तक प्रेम का जागृत कइके,
अउरौ करी रोज पढ़ाई।
चाहे घर होय या स्कूल,
पढ़ेन मा होई सबका भलाई॥
सस्ते दाम मा पुस्तक मिले
आखिर जमके फायदा उठायी।
सब जन पुस्तक खरीदी,
अउर सबका जागरूक बनाई॥
पत्र-पत्रिका पढी-पढाई,
औरन का उपलब्ध कराई।
पुस्तक के प्रति आपन दिलमा,
आकर्षण और सोच बढ़ाई॥
मनोरंजन का साधन हैय,
बच्चों अब अच्छा ध्यान लगाई।
मन-मन केर खेल सिखावय,
पुस्तक मा ज्ञान भण्डार समाई॥
पुस्तक केर ज्ञान कईके,
अच्छे पद मा नौकरी पायी।
विपत्ति माँ साथ साथ दईके,
आपन जगमा नाम कमाई॥
पुस्तक का सच्चा साथी मानी,
जब अकेले मन कोऊ होई।
टाइम पास होय मन न ऊबै,
अउर ज्ञान का देय बढ़ाई॥
ज्ञान केर भण्डार भरी सब जग,
तबहिन अच्छा सुख मिल पाई।
बिना ज्ञान केर दुनिया मा,
तोहका सम्मान न मिल पायी॥
सब कोऊ मिल जुल कइके,
यह सार्थक कदम उठायी।
प्रयास अब अइसन करी,
राष्ट्र केर प्रगति बढ़ाई॥
जुगुत लगाके अच्छा करी पढाई,
तबहीं वैज्ञानिक के पद मिल पाई।
सूरज जइसन किरण बिखेरी,
अउरब अन्धकार मिटजाई॥
रचना: रमेश प्रसाद पटेल, माध्यमिक शिक्षक
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2 टिप्पणियां:
very good Sir
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