भारत में कोरोना आया,
दुनिया की जंजाली लाया।
यह कैसा वायरस है भाई
निकलने न देता घरों से हमको,
जैसे जीवन को पंगु बनाया।
कहाँ कहाँ घूमा, फिर अपनी चाल चलाई भारत में,
लोगों को धर दबोचा बस थोड़े दिन की इबारत में।
बच्चे, बूढ़े सब लपटे इसके जीवन नाशक जंजाली में,
जीवन जीना शुरू करेंगे बस इसके जल्द बहाली में।
निकलना नहीं अभी घरों से हमको
घर मे ही हम काम चलाएं।
दुनिया को संदेश सुनाकर
हम अपनी गलती न दुहराएं।
पटक हमें यह देगा वायरस
इससे खिलवाड़ करेंगे तो।
नष्ट हो जाएगा जीवन अपना
यदि इसे दूर नहीं भगाया तो।
हाथ बटाएँ, दूर भगाएं इस जीवननाशक वायरस को।
परिवार सुरक्षा, गांव सुरक्षा और देश सुरक्षा इबारत को।
लॉक डाउन में भारत को बाँधा
ताकि भारत जीवित चंगा हो।
स्वस्थ गीत की मधु बांसुरी बजे
भारत में खुशियां रंगा हो।
जीतेगा भारत इस कोरोना से
तनिक नहीं संकोच।
ईश्वर की कुटिया में ढाढ़स है संतोष।
जल्द ही भारत रोगमुक्त होगा
हो रहे इसके प्रभावी काम।
भारत मे फिर नहायेगा दिन और मुस्काती शाम।
रचना: रजनीश 'रैन'
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