बदले की नहीं बदलाव की सोचिए।
क्षण भरके गुस्से से प्रेम भरा संबंध बिखर जाता है।
गुस्सा जब तक धीमा पड़ता है
तब तक संबंध सुधारने का वक़्त निकल जाता है।।
बुराई पराई देखने का नहीं,
बुरे व्यक्ति में अच्छाई खोजिए।
दूसरों की बुराई खोजने में,
स्वयं का अच्छापन चला जाता है।।
बकवास करने का नहीं,
काम करने की आदत डालिये।
बक-झक में सुकर्म का कौशल चला जाता है,
गलतियां करने की नहीं,
गलतियां दूर करने की सोचिए
क्षमा याचना मात्र से
दुष्प्रवृत्ति में सुधार आता है।।
ईर्ष्या, द्वेष, नफरत नहीं
प्रेम, मैत्री, सद्भाव सोचिए।
अनवरत निकटतम रहने से
सदवृत्ति निखर आता है।
अलग रहने की नहीं,
समूह में रहने की सोचिए,
सदा सहोदर भाव रखने से
मन का विकार निकल जाता है।।
-राम सहोदर पटेल, शिक्षक।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें