अच्छा आदमी
अच्छा तो अच्छा ही होता।वह दिल का भी सच्चा होता।
वह अच्छे बुरे में भेद न करता।
बुरे व्यक्ति में भी देखे अच्छा।
परनिंदा से हटकर रहता।
स्वार्थपरता से डटकर लड़ता।
चुगलखोरों और चुगली से।
सदा-सदा वह दूर ही रहता।
ज्ञानचक्षु से जग रोशन करता।
दुखियों का वह पीड़ा हरता।
अभिमान ना उसको छूने पाता।
स्वाभिमान पर आंच न आता।
निंदा-स्तुति की ना चिंता करता।
सुख-दुख में समरस वह रहता।
जीवन-मरण से कभी ना डरता।
दोष पराया उसे न दिखता।
बिना थके वह आगे बढ़ता।
मौन स्वभाव सदा वह रखता।
जो कहता वह करके रुकता।
पीर पराया अपना करता।
पर उपकार सदा वह करता।
अनवरत रूप से आगे बढ़ता।
किसी के रोके वह न रुकता।
ईर्ष्या,घृणा, द्वेष से बचता।
क्रोध, अनैतिकता से वह डरता।
मानवता से कभी न हटता।
सदा 'सहोदर' भाव है रखता।
प्रेमभाव उसके दिल में उतरता।
बुरा आदमी
बुरे व्यक्ति का आचरण बच्चा।उसे न दिखे पराया अच्छा।
बुरा बुराई बुनबुन करता।
स्वयं प्रशंसा बढ़-चढ़ करता।
नरम व्यक्ति को पाकर सम्मुख।
गरम-गरम तेवर दिखलाता।
जब गरम व्यक्ति से पड़े सामना।
तब छुईमुई-सा वह मुरझाता।
काम पड़े यदि उसका तुमसे।
तब पाँव चूमने वह लग जाता।
काम पड़े यदि तुमको उससे।
दुम दबाय किनारे जाता।
धन पाकर अभिमान दिखाता।
विद्या पाय विवाद बढ़ाता।
शक्ति पाय अकड़ता जाता।
परनिंदा में समय गवाता।
तिल का ताड़ बताता चलता।
ताड़ का तिल भी करता चलता।
क्षमा, दया का भाव न जाने।
भल मानुष को ना पहचाने।
समझो उसको कांच का मुखड़ा।
जरा गरम से टुकड़ा-टुकड़ा।
बक-बक-बक बकवास है करता।
उत्कर्ष पराया देख ना सकता।
देख पराया बढ़ती वह जलता।
ईर्ष्या, नफरत सदा व्रत रखता।
'सहोदर' भाव न किसी से रखता।
समझाने से वह गुस्सा करता।
रचनाकार:राम सहोदर पटेल,एम.ए.(हिन्दी,इतिहास)
स.शिक्षक, शासकीय हाई स्कूल नगनौड़ी
गृह निवास-सनौसी, थाना-ब्योहारी जिला शहडोल(मध्यप्रदेश)
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