माँ
सुरेन्द्र कुमार पटेल
हर उस मां का वंदन है, अभिनंदन है।जिसके तपने से बेटा बनता कुंदन है।
बेटे की किलकारी से, गूंजित होता जब घर-आंगन।
धवल-चांदनी सा खिल जाता है मां का मन।
बेटे की सेवा में माँ, न जाने कैसी दिव्य अनुभूति है तेरी।
छोड़ सकल संसार तुम बन जाती हो उसकी चेरी।
तुम्हारे संस्कारों से सुरभित होता जैसे वह चंदन है
हर उस मां का वंदन है, अभिनंदन है।
जिसके तपने से बेटा बनता कुंदन है।
न जाने कैसा दिव्य आकर्षण है माँ की लोरी में।
कैसा अद्भुत सुख है माँ से माखन की चोरी में।
हाय, अजब धौंस माँ का, उस भय में मेला भावों का।
हल्की खरोच लगे तो माँ ले लेती है हिसाब उन घावों का।
बेटे को वह करे सुसज्जित और चीथड़ों में उसका तन है...
हर उस मां का वंदन है, अभिनंदन है।
जिसके तपने से बेटा बनता कुंदन है।
बेटे की खातिर वह लड़ती, शेरनी बन जाती है।
बेटे का हो हित तो ले कलंक कैकेयी भी बन जाती है।
बेटा सोये निश्चिंत भाव से, रात-रातभर मां पहरा देती है।
बेटे का मन कुम्हला न सके, ऐसा छांव वो गहरा देती है।
बेटा घर से हो बाहर, हर आहट उसके कानों से टकराती है।
जब भी बिगड़ी है तबियत, हाल पूछने वो दौड़े आती है।
बेटे की चाहत होती जब भी पूरी,
और दुआओं से भर जाता उसका मन है
हर उस मां का वंदन है, अभिनंदन है।
जिसके तपने से बेटा बनता कुंदन है।
माँ कभी नहीं कहती, उसको भव्य मकान बनाकर दो।
मां कभी नहीं कहती, उसको नया-नया पकवान बनाकर दो।
जब वह बूढ़ी हो जाती है, लाठी टेक-टेककर चलती है।
बेटों की बन न जाये पथबाधा, यह देख-देखकर चलती है।
मिट्टी से लड़-लड़ वह मिट्टी बन जाती, बेटों का जीवन कंचन है
हर उस मां का वंदन है, अभिनंदन है।
जिसके तपने से बेटा बनता कुंदन है।.
माँ का यह सदय भाव लेकिन जग में बेटी बनकर ही आता है,
कैसा है यह दुर्भाग्य मगर कि अब माँ को बेटी जनना नहीं सुहाता है।
अंबर की ऊंचाई के नहीं मायने, यदि न कोई अवनी होगी।
उस भाई के मन में कैसे कलरव गूंजेगा, जिसकी न कोई भगिनी होगी।
इसलिये माँ इतनी ममता और लुटाना,
हर भाई देखे कि उसके आंगन में एक बहन है
हर उस मां का वंदन है, अभिनंदन है।
जिसके तपने से बेटा बनता कुंदन है।
पर कुछ पिशाच-भेड़िये बन जाते,
माँ का दूध लजा जाते हैं
जिस बेटी में है इतनी ममता
उसकी आत्मा को चीर, नराधम बन जाते हैं।
उसकी माँ को यदि यह मालूम होता,
उसने क्षीर नहीं बहाया होता।
वह मां है, बेटी की अस्मत खातिर
अपना दूध आँचल में ही सुखाया होता।
बेटों ने लजाया है माँ का आँचल,
माँ का मन आज भी पावन है...
हर मां का वंदन है अभिनंदन है।
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1 टिप्पणी:
Nice
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