गुरु का महत्व सब कोई जानें,
इसमें न कोई भेदभाव।
इसमें न कोई भेदभाव।
हम सब हैं उनके शिष्य,
हमारे जीवन पर उनका प्रभाव।
गुरु की इज्जत करना है,
इसमें न कोई शक-संदेह।
इनसे ही दुनिया है सम्हली
वरना अनपढ़ होता देश।
अगर सामना हो गुरुओं से,
शीश झुकाकर नमन करो।
अगर आपमें है समझ तो,
आदर पूर्वक प्रणाम कहो।
जो गुरुओं को कष्ट दे,
उसका महत्व होता कम।
हर वक्त वह रोएगा,
क्योंकि उसको है घमंड।
गीता भी करती विश्वास,
अपने गुरु हैं सबसे खास।
सबसे न सम्हले यह पद,
गुरु पर होती सब की आश।
गुरु हैं हम सब के आदर्श,
न होने देते कोई कष्ट।
हम पर जब भी विपदा आती,
हम लेते उनसे परामर्श।
गुरु हमारे देव हैं,
इनसे न कोई जग में ऊंचा।
गुरु हमारे मित्र हैं,
जिनसे न कोई अच्छा होता।
गुरु हमें जीना सिखलाते,
दुनिया में रहना सिखलाते।
इनकी सदा रहे अनुकम्पा,
कभी मत करना इन पर शंका।
अगर गुरु गुस्सा करे तो,
शिष्य बन कर सह लेना।
क्योंकि तुम्हारी यही भावना,
सदा करेगी तुम पर करुणा।
कक्ष चरण में कई गुरु,
सभी बतलाते अगली राह।
मेहनत करके आगे बढ़ते,
श्रेय जाता है गुरु के पास।
गुरु की सेवा परम धर्म,
आज्ञा पालन उच्च धर्म।
गुरु की शरण में दुनिया सारी,
अपनी दुनिया सबसे न्यारी।
रचना:पंकज कुमार यादव
ग्राम-बैहार, पोस्ट-गौरेला,
तहसील-जैतहरी, जिला-अनुपपुर(मध्यप्रदेश)
ग्राम-बैहार, पोस्ट-गौरेला,
तहसील-जैतहरी, जिला-अनुपपुर(मध्यप्रदेश)
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2 टिप्पणियां:
Very good mere bhai...👍...👌
शानदार
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