आदर्श जीवन
सत्य+ईमानदारी+न्याय+चरित्र=आदर्श जीवन
जब मानव की दृष्टि निर्मल हो, मन में उत्साह भरा हो, प्रेरणा से परिपूर्ण हो तब जीवन आदर्श के पथ पर अग्रसर होता है। दृष्टि कैसे निर्मल होती है ? जीवन में उत्साह कैसे मिलता है ? प्रेरणा कहाँ से आती है? सबका सम्बन्ध है- श्रेष्ठ मनुष्य के चरित्र से। इस संसार में कौन है श्रेष्ठ मनुष्य? श्रेष्ठ मनुष्य वह है जो अपने आदर्श और उद्देश्यों का कभी सौदा नहीं करता, चाहे जीवन में किसी भी प्रकार की परिस्थिति क्यों न हो । श्रेष्ठ व्यक्ति विषम परिस्थितियों में भी धैर्य एवं आत्मविश्वास कभी नहीं खोता बल्कि उस परिस्थिति से सीख लेकर भविष्य के लिए सजग रहता है । किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए चार बातें अत्यन्त आवश्यक है।
जब मानव की दृष्टि निर्मल हो, मन में उत्साह भरा हो, प्रेरणा से परिपूर्ण हो तब जीवन आदर्श के पथ पर अग्रसर होता है। दृष्टि कैसे निर्मल होती है ? जीवन में उत्साह कैसे मिलता है ? प्रेरणा कहाँ से आती है? सबका सम्बन्ध है- श्रेष्ठ मनुष्य के चरित्र से। इस संसार में कौन है श्रेष्ठ मनुष्य? श्रेष्ठ मनुष्य वह है जो अपने आदर्श और उद्देश्यों का कभी सौदा नहीं करता, चाहे जीवन में किसी भी प्रकार की परिस्थिति क्यों न हो । श्रेष्ठ व्यक्ति विषम परिस्थितियों में भी धैर्य एवं आत्मविश्वास कभी नहीं खोता बल्कि उस परिस्थिति से सीख लेकर भविष्य के लिए सजग रहता है । किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए चार बातें अत्यन्त आवश्यक है।
1-सत्य बोलना। (सत्य बोलने से सबसे अच्छी बात कि आपको कभी याद नहीं रखना पड़ता)
2-न्याय । (अन्याय का साथ नहीं देने से केवल एक व्यक्ति नाराज एवं दूर हो सकता है किन्तु न्याय का साथ नहीं देने से पूरे संसार के साथ-साथ अपने आप को कभी माफ नही कर सकते हैं)
3-ईमानदारी। (पूरे संसार का विश्वास आप जीत सकते हैं)
4-चरित्र। (जिस व्यक्ति ने चरित्र खो दिया उसने अपने आप को सदा के लिए नष्ट कर लिया एवं आने वाली 7 पीढ़ियों को कलंकित कर दिया एवं पूरे समाज का आने वाला भविष्य भी अंधेरे में)
सत्य, ईमानदारी, न्याय, चरित्र को छोड़ने वाला व्यक्ति संभव है, कुछ पा ले। शायद धन प्राप्त कर ले। पर क्या केवल धन पाना ही सफलता है? एक डकैत एवं चोर भी धन प्राप्त कर लेता है, पर क्या वह सफल है ? मस्तिष्क का उपयोग कर ईमानदारी से धन कमाना, छल कपट और अत्याचार के द्वारा धन कमाने की अपेक्षा सदा ही श्रेयस्कर है।
मन में दृढ़ निश्चय कर लीजिए कि आप अपने पुरुषत्व के विरुद्ध कोई कार्य नहीं करेंगे, दुनिया की कोई भी ताकत आपको पथ से विचलित नहीं कर सकती है। दृढ़ निश्चय कर लीजिए कि आप अपनी योग्यता को, अपनी विद्या को, अपनी सूझ-बूझ और खोज की बुद्धि को, अपने आत्म सम्मान को, कोई कितना भी प्रलोभन क्यों न दे, आप अपने आप का सौदा कदापि नहीं करेंगे। मनुष्यता से गिरा हुआ कोई भी काम नहीं करेंगे। आपको विश्वास दिलाता हूँ आप श्रेष्ठ एवं सफल व्यक्ति होंगे। महापुरुष इसी धरती पर पैदा होते हैं वह भी आप सब की तरह आम इंसान होते हैं किन्तु जब वे न्याय, सत्य, ईमानदारी और चरित्र के पथ पर चलकर श्रेष्ठ समाज एवं देश के लिए अलौकिक कर दिखाते हैं तब वे महापुरुष कहलाते हैं। हम आप सभी महापुरुष बन सकते हैं। केवल तय आपको करना है कि क्या कठोर त्याग कर सकते हैं यदि हाँ तो वर्षों के कठोर त्याग से निश्चय ही आप महापुरुष होंगे ।
कई बार आश्चर्य होता है कि किसी व्यक्ति के इस संसार से चले जाने के 100 वर्ष बाद भी लोग उसके नाम पर करोड़ो रूपए दान कर देते हैं। क्यों ? जबकि वह इंसान हमारे बीच नहीं है। वह प्रत्यक्ष किसी की मदद नहीं कर सकता है। इस धरा पर लाखों, करोड़ों लोग जन्म लेते और मृत्यु होती है पर उनमें से विरलों के लिए ऐसा संकल्प क्यों? क्योंकि उनका जीवन आदर्श, श्रेष्ठ, दूध की तरह सफेद एवं ह्रदय निर्मल था। जितने भी महापुरुष इस धरा पर जन्मे हैं सबने अपना रास्ता स्वयं निर्मित किया है।
आइए आज सब संकल्प लें एक ऐसे पथ का निर्माण करेंगे जिसमें आने वाली पीढ़ी, समाज एवं देश को नई दिशा मिले।
आलेख:पुष्पेन्द्र पटेल, सिविल इंजीनियर,
पता-आखेटपुर, ब्यौहारी, जिला-शहडोल (मध्यप्रदेश)
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