मन के पतंग
-रजनीश
(हिंदी प्रतिष्ठा)
गीत हैं, गुलाल हैं बच्चे
धरा के नूतन पैगाम
हैं बच्चे
जब ये गीत मधुर पिरोते
हैं
ऐसा लगता है सुर
के ताल हैं बच्चे
कुमकुम, चंदन सरीखे सुगंधित
हैं
“मिट्टी और श्रम”
के पहचान हैं बच्चे
अपनी मस्ती की
पाठशाला में
अपने मन के मुस्कान
हैं बच्चे
जब कभी ये पतंगें
उड़ाते हैं
लगता है ऊँचाइयों
के सलाम हैं बच्चे
जिनको “नीति” से
पगे संदेश मिले हैं, वे
हर जगह सम्मान
हैं बच्चे
क्या फूलों को
बोलते किसी ने देखे हैं?
मधुर, सुहावने, हृदय के वरदान हैं बच्चे।।
💐 सम्पूर्ण बाल-मंडली को सादर
समर्पित💐
3 टिप्पणियां:
अति सुन्दर ।वाह रजनीश!
बढ़िया रचना कवि जी
अति सुन्दर
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