सोमवार, जुलाई 05, 2021

वो है मेरी प्यारी कविता: सुरेन्द्र कुमार पटेल की कविता Kavita Par kavita in hindi


कविता जो हमारे सुख-दुःख की साथी है, कविता जो हमारे हर्ष और विषाद की वाहिका है, कविता जो हमारी  मनःस्थिति और हृदयतल को स्पर्श करती है, कविता जो प्रेम और आक्रोश को अभिव्यक्त करती है, ऐसी कविता पर कोई कविता न हो, ऐसा कैसे हो सकता है. एक छोटी सी कोशिश की है कविता पर कविता करने की. कविता पर कविता लिखने की. आशा है कविता पर यह कविता आपको जरूर पसंद आएगी. यदि यह आपके हृदयतल को अंश मात्र भी स्पर्श करने में सक्षम हो तो आपसे प्रार्थना है कि इसे अपने मित्रों एवं परिचितों तक अवश्य पहुंचाएं.
प्रस्तुत है सुरेन्द्र कुमार पटेल  के ब्लॉग से ली गयी यह कविता. 

Kavita Par  kavita in hindi - कविता पर एक कविता -

....वो है मेरी प्यारी कविता
जिसमें अन्तस को छूने की ललक है,
जिसमें जीवन की चतुर्दिक झलक है,
जिससे  जुड़ा कल-आज और कल है,
जिसमें जीवन का निनाद कलकल है।
वो है मेरी प्यारी कविता॥


जिसमें प्रिय-मिलन की मधुर स्मृति है,
जिसमें समाहित प्रिय की सुन्दर कृति है,
जिसमें सबके मन का सुन्दर स्वरूप है,
जिसमें जीवन भर की छांव और धूप है
वो है मेरी प्यारी कविता॥


जिसमें बादल और धरती की छुअन है,
जिसमें प्रिय के विरह का मौन रुदन है,
जिसमें रूठे मन को मनाने की मनौती है,
जिसमें जन-मन को जगाने की चुनौती है।
वो है मेरी प्यारी कविता॥


जिसमें प्रिय के संबोधन की ताजगी है,
जिसमें विविध प्रेम प्रकाट्य की बानगी है,
जिसमें ह्दय-वेदनाओं का अगम अंगार है,
जिसमें मन की पहेलियों का सुगम द्वार है,
वो है मेरी प्यारी कविता॥


जिसमें ममताविकल आंसुओं की झड़ी है,
जिसमें मानव मनयोग की मजबूत कड़ी है,
जिसके बिना सितारों के तार भी मौन हैं,
जिसके बिना हम-आप आधा या पौन हैं,
वो है मेरी प्यारी कविता॥


जिसमें अध्यात्म का रचा गया सुपथ है,
जिसमें व्यक्त भक्तिभाव आज अकथ है,
जिसमें वीरों के शौर्य का समृद्ध गान है,
जिसमें रणबांकुरों का उत्साही सम्मान है।
वो है मेरी प्यारी कविता॥


जिसमें बारिश से उठती मिट्टी की सुगंध है,
जिसमें अमानवीय चीत्कारों की दुर्गंध है,
जिसमें जीवन का गहरा अंधेरा कुआँ है,
जिसमें प्रथम सुहाग सेज से उठता धुआँ है।
वो है मेरी प्यारी कविता॥


जिसमें सिंहासनों को हिलाने की हुंकार है,
जिसमें गिद्ध-पंजों से छुड़ाने की पुकार है,
जिसमें श्रमिक-मौत के सौदों का दृश्य है,
जिसमें नित्य ढलते सच का दुःखद हश्र है।
वो है मेरी प्यारी कविता॥


जिसमें उतरा हृदय भाव गहरा डुबोते हैं,
जिसमें मन की पीड़ा शब्दों से पिरोते हैं,
जिसमें इंद्रधनुष में समाहित रंग सभी हैं,
जिसमें गोता लगाते सभी कभी न कभी हैं।
वो है मेरी प्यारी कविता॥


वह कविता आजकल छूकर चली जाती है।
होना था आगोश में, अनछुआ रह जाती है।
मानव हृदय के तार यूँ सख्त होते जा रहे हैं,
स्वयं पर हँसती है, जब हँसाने से रह जाती है।
वो है मेरी प्यारी कविता॥
(मौलिक एवं स्वरचित)
© सुरेन्द्र कुमार पटेल
ब्यौहारी, जिला-शहडोल
मध्यप्रदेश

[इस ब्लॉग में रचना प्रकाशन हेतु कृपया हमें 📳 akbs980@gmail.com पर इमेल करें अथवा ✆ 8982161035 नंबर पर व्हाट्सप करें]

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बहुत सुंदर रचना🌹🌹

Ram Sahodar Patel ने कहा…

अति सुन्दर एवं सारगर्भित ।

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