सादर नमन माँ शारदा 🙏
सादर नमन मंच 🙏
दिन - शनिवार
दिनांक - 01 - 05 - 2021
विधा - कविता
मजदूर दिवस पर विशेष
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दूसरों के घरों को बनाता
है मजदूर
पर खुद झोपड़ी में रह लेता है
मजदूर,
बनाता है जो अपने हाथों से
शहर को
उससे भी पराया हो जाता
है मजदूर ।
दुनिया का बोझ ढोता है मजदूर
पर उसके पास कुछ नही होता है ,
चैन की नींद हम सोते हैं घरों में
पर कल की आस मे रोता है मजदूर ।
परिवार के लिए अपने हर दुःख
सहता है मजदूर
ठंड मे ठिठुरता और गरमी मे
तपता है मजदूर ,
अपनी इच्छाओ को जलाकर भी
फिर से काम पर निकलता है मजदूर ।
हमेशा चुप रह कर , बिना लड़े
मेहनत और लगन से काम करता
है मजदूर ,
क्यों उसे उसका हक नही मिल
पाता है
क्यों बनाया गया उसे हर पल
मजबूर ।
ग़रीबी मे जी कर भी उसके पास
ईमानदारी हैं
पर इंसानियत भूल लोगो ने उसे नीचा
दिखाया हैं ,
कभी ठुकराकर , कभी दुत्कार कर
हमेशा मजाक बनाया हैं
पर मजबूरी मे भी हँस कर काम
करता है मजदूर ।
शोभा " समीक्षा "
उत्तराखंड
सभी मेहनतकश लोगो को समर्पित कविता जिनकी वजह से हम अपने घरों मे आराम से रह पाते है ,,,,
धन्यवाद 🙏🙏 💐💐
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