गाँव की ओर
हम ग्रामीण संस्कृति के उन्नयन में अग्रणी रहें,
गाँव में समरसता, सद्भाव का रसधार बहायें।
हर विकट परिस्थितियों में अडिग रहें,
सदाचार, सद् मार्ग को हृदय में अपनाएँ,
हम गाँव को ले जायें शिखर की ओर॥
हमारा एक कदम गाँव की ओर।
निज हृदय पटल में शुचि संस्कार हो,
हमारे हृदय में विश्व बंधुत्व की भाव हो।
हम ग्रामीण विरासत के परिपोषक हों,
हम ग्राम अशांति,अव्यवस्था के नाशक हों,
परपीड़ा दृष्टिपात कर हो जाएँ भाव विभोर॥
हमारा एक कदम गाँव की ओर।
हम गाँव में जन जागृति के अलख जगायें,
दीन, दुखियों के सुख - दुख में काम आयें।
ग्राम स्वराज्य उन्नयन में समर्पण का भाव हों,
ग्राम पल्लवित, पुष्पित में हमारा सहयोग हों,
गाँव में संकट का साया मंडराता चहुँ ओर॥
हमारा एक कदम गाँव की ओर।
जब हम ग्रामीण गरीबी उन्मूलन के प्रेरक हों,
स्वर्णिम गाँव के निर्माण के उत्प्रेरक हों।
शिक्षा की ज्योति जलाने का प्रयास करते हों,
ग्राम्य चहुँमुखी विकास में हमारी भूमिका हों,
गाँव में मिटाने को तैयार रहें अशांति,शोर॥
हमारा एक कदम गाँव की ओर।
गाँव को स्वर्णिम बनाने का भाव तिरोहित हों,
ग्राम्य विकास में पूर्ण रूप से समर्पित हों।
जब गाँव में खुशियों का अंबार लाते हों,
ग्राम्य नव सृजन में तन, मन, धन अर्पित हों,
जब गाँव में विकास की गंध बिखेरें चहुँ ओर॥
हमारा एक कदम गाँव की ओर।
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रचना ✍
स्वरचित एवं मौलिक
मनोज कुमार चंद्रवंशी (शिक्षक)
पुष्पराजगढ़ जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
रचना दिनाँक-18/07/2020
हम ग्रामीण संस्कृति के उन्नयन में अग्रणी रहें,
गाँव में समरसता, सद्भाव का रसधार बहायें।
हर विकट परिस्थितियों में अडिग रहें,
सदाचार, सद् मार्ग को हृदय में अपनाएँ,
हम गाँव को ले जायें शिखर की ओर॥
हमारा एक कदम गाँव की ओर।
निज हृदय पटल में शुचि संस्कार हो,
हमारे हृदय में विश्व बंधुत्व की भाव हो।
हम ग्रामीण विरासत के परिपोषक हों,
हम ग्राम अशांति,अव्यवस्था के नाशक हों,
परपीड़ा दृष्टिपात कर हो जाएँ भाव विभोर॥
हमारा एक कदम गाँव की ओर।
हम गाँव में जन जागृति के अलख जगायें,
दीन, दुखियों के सुख - दुख में काम आयें।
ग्राम स्वराज्य उन्नयन में समर्पण का भाव हों,
ग्राम पल्लवित, पुष्पित में हमारा सहयोग हों,
गाँव में संकट का साया मंडराता चहुँ ओर॥
हमारा एक कदम गाँव की ओर।
जब हम ग्रामीण गरीबी उन्मूलन के प्रेरक हों,
स्वर्णिम गाँव के निर्माण के उत्प्रेरक हों।
शिक्षा की ज्योति जलाने का प्रयास करते हों,
ग्राम्य चहुँमुखी विकास में हमारी भूमिका हों,
गाँव में मिटाने को तैयार रहें अशांति,शोर॥
हमारा एक कदम गाँव की ओर।
गाँव को स्वर्णिम बनाने का भाव तिरोहित हों,
ग्राम्य विकास में पूर्ण रूप से समर्पित हों।
जब गाँव में खुशियों का अंबार लाते हों,
ग्राम्य नव सृजन में तन, मन, धन अर्पित हों,
जब गाँव में विकास की गंध बिखेरें चहुँ ओर॥
हमारा एक कदम गाँव की ओर।
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रचना ✍
स्वरचित एवं मौलिक
मनोज कुमार चंद्रवंशी (शिक्षक)
पुष्पराजगढ़ जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
रचना दिनाँक-18/07/2020
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