आया अजब जमाना रे।
रचनाकार:-
कौशल प्रसाद पटेल
सत्त की चाल चले ना कोई,
झूठ का सबै दीवाना रे।।
मात पिता गुरु हो चाहे,
दुखियों को भी ठुकराना रे।
मन का रंगी फिरै बिहंगी,
बिगड़ी चाल के हैं संगी,
तिरिया से नेह लगावै,
सोना चांदी खूब बनावै,
स्वारथ भरा तन माना रे।
झूठ का सबै दिवाना रे।
आया अजब जमाना रे।।
फिल्मी चाल चले सब कोई,
बढ़ता देख आंसुओं में रोई,
अच्छी संस्कृति न ॶपनावे,
पुरानी रीति कह कर ठुकरावे,
आज का शिक्षा करें बेगाना रे।
झूठ का सबै दिवाना रे।
आया अजब जमाना रे।
धन का लोभी सब जग हैं,
न्याय मार्ग में बहुत कम हैं,
उल्टी चाल चले यह दुनिया,
मानवता भरे सब के पनिया,
उल्टी गंगा आज बहाना रे।
झूठ का सबै दिवाना रे।
आया अजब जमाना रे।।
रचनाकार:-
कौशल प्रसाद पटेल
समाजसेवी पुरैना, ब्योहारी
ज़िला शहडोल (म.प्र.)
1 टिप्पणी:
यथार्थ सृजन आदरणीय
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