मंगलवार, मई 26, 2020

बाबूजी सच कहूँ: कोमल चंद


बाबूजी सच कहूं

           1

अन्न उगाते हम
भूखे भी हम
बांध बनाए हम
प्यासे भी हम।

        2

स्कूल बनाए हम
अनपढ़ भी हम
कपास उगाते हम
नंगे भी हम।

        3

मकान बनाए हम
बेघर भी हम
अस्पताल बनाए हम
मरते भी हम। 

         4        

हमनें अपना दुख कह दिया
तुम्हारे महलों में हमारे चिन्ह 
फिर भी हम तुमसे भिन्न ...
 हमारा हिस्सा .....
हमें लौटा जाओ,
कहीं ऐसा ना हो,
इस धरा में अकेले रह जाओ।

             5

सोचता हूं चला जाऊं बचपन में
बनाकर टोलियां खूब खेलू खेल,
जो हमारा हक छीनते हैं,
उन्हें भेज दूं जेल।

             6

सोनू,मोनू, दीनू, दुखिया,
सब होंगे अधिकारी
बिजली-पानी राशन
आवास योजना.....
सबकी होगी इंक्वायरी
नहीं बचेंगे शोषणकारी।

             7

ना रहेगी अंधेर नगरी,
ना होगा चौपट राज,
फांसी का फंदा नया बनेगा,
अपराधी उसमें जरूर चढ़ेगा।

                8

फर्जी योजना बंद करेंगे,
जनहित के काम करेंगे।
भूखा,नंगा, घर बिन आटा,
उसको कहां मिलेगा डाटा।

              9

 यह योजना बेकार,
 इसको बंद करेंगे।
 बचपन है खुशहाल,
 वहीं हम राज करेंगे।

              10

शोषण करने वालों को,
कभी ना हम माफ करेंगे।
............................
कोमल चंद कुशवाहा
शोधार्थी हिंदी
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा
मोबाइल 7610103589
.................................

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