सोमवार, नवंबर 04, 2019

आँखों का झगड़ा:सुरेन्द्र कुमार पटेल का व्यंग्य



आँखों का झगड़ा
मेरे पास दो आँखें हैं. आपके पास भी होंगी लेकिन आपने इन दोनों  आँखों को कभी झगड़ते हुए नहीं देखा होगा. देखेंगे भी कैसे, कोई अपनी आँख से अपनी आँख देख पाता  है क्या? चलिए बकवास बातों को छोड़ते हैं और असल मुद्दे पर आते हैं. असल मुद्दा यह है कि मेरी दोनों आँखों का समन्वय बिगड़ गया है. यह दोनों आखें अलग-अलग चीजें देखती हैं. वह भी एक साथ. अब ऐसे में मेरा माथा गरम हो जाता है कि किस आंख की बात सही मानूं और किस आँख की झूठ!

अभी कल की ही बात है. हमारी एक आँख ने हमारे एक परिचित को मरा बता दिया. कब और कैसे मरा उसका पूरा चित्र था उसके पास परन्तु मेरी जो दूसरी आंख थी वह कह रही थी वह तो नहीं मरा. उसके न मरने का सुबूत उसके पास भी था. अब आप स्वयं सोचिए यदि आपके साथ ऐसा हो तो आपका माथा गरम होगा कि नहीं?


अब इधर मैं इस बात को लेकर परेशान हूँ. उधर मेरी आँखों की इस अप्रतिम प्रतिभा की जानकारी जैसे ही मेरे एक अभिन्न मित्र को लगी, उन्होंने इसे चमत्कार समझा. पास के किराना दुकान में चले गये और वहाँ से वे नारियल-अगरबत्ती ले आए. उन्होंने मेरे माथे के बीचों-बीच एक नारियल रखा और दोनों आँखों की बारी-बारी से आरती उतारने लगे. अगरबत्ती का सारा धुआँ मेरी आँखों में समा गया. उनका कहना था कि उन्होंने कहीं पढ़ा है कि आजकल ऊपर वाला इसी तरह अवतरित होता है. यह कलयुग है न! तो एक पूरा शरीर अवतरित नहीं होता बल्कि अलग-अलग शरीर में अलग-अलग अंगों का अवतार होता है. किसी व्यक्ति में उसके नाकों का अवतरण होता है तो किसी में मस्तिष्क का और किसी में कान का तो किसी में धड का. वे  मुझसे कहने लगे कि वे  कोई गप्प नहीं हांक रहे हैं, वह सच कह रहे हैं. उनके  पास इस कहने के सुबूत हैं. हालाँकि मेरे मान-मनोबल के बाद उन्होंने मेरे माथे पर रखे  नारियल को हटा लिया है और उस नारियल को उन्होंने  एक लाल कपड़े में लपेट कर मेरे घर के ही पास एक वृक्ष में लटका दिया है. उन्होंने  कहा है कि जब उनकी मन्नत पूरी हो जाएगी तब वे इस नारियल को तोड़ेंगे. उनके  इस चमत्कारिक विश्वास पर मैं आश्चर्यचकित हूँ और भयभीत भी कि कहीं इस बात की भनक लोगों को लग गयी तो मेरा जीना मुश्किल हो जाएगा. अभी इन आँखों ने ही माथे को गरम कर रखा है, लोग तो माथे पर  नारियल भी तोडना प्रारंभ कर देंगे!

मैंने खूब विचार किया कि यह प्रकरण और तूल ले उसके पहले दोनों आँखों का भ्रम दूर किया जाना चाहिए. मैंने बारी-बारी से दोनों आँखों के गवाहों की परीक्षा कर लेने का विचार किया. तो दोनों अपने-अपने वकील नियुक्त करने  की बात पर अड़ गये. मुझे उनकी  बात माननी पड़ी. बाईं आँख ने बाएं कान को अपना वकील नियुक्त किया और दांयीं आँख ने दायें कान को. अब कानों का क्या ठिकाना कि वे सच ही बोलेंगे. उनकी सच्चाई पर लोगों को इतना भरोसा होता तो लोग कान का कच्चा कहते ही क्यों?


सबसे पहले मैंने उस आँख को कठघरे में खड़ा किया जिसने मेरे परिचित को मरा बताया था. उसने कहा आपके परिचित को केवल मैं मरा नहीं कह रहा सैकड़ों लोग कह रहे हैं. मैंने पूछा, तुम्हारे पास इसका सुबूत क्या है? उसने मेरे पॉकेट की ओर तिरछी दृष्टी डाली. मेरे पॉकेट में कलयुग का सबसे अनिवार्य यंत्र समाहित था. मैंने उसे निकाला. तो आँख ने फिर स्क्रीन को आँख मारी. मैं समझ गया इस स्क्रीन में ही कुछ है. स्क्रीन चालू हुआ तो उसमें बहुत सारे  अप्प्स मौजूद थे उसने एक हरे रंग के लगभग गोल-तिकोने बनी आकृति पर अपनी नजरें गड़ा दीं. मैंने उसे खोला. मेरी आँख फटी की फटी रह गई सच में मेरा परिचित वहां मरा पड़ा था. वकील आंख ने कहा उसके मरने का विलाप भी उसने अपने कानों से सुना है!

परन्तु जिसे अभी एक घंटे पहले ही सब्जीमंडी में देखा था वह कौन था ? दूसरी  आँख ने भी आँख मारी. उसने उलटे क्रम से शुरू किया. उसने उस गोल-तिकोने आकृति को देखा और आँखें मूँद ली. मैं समझ गया उस गोल-तिकोने आकृति वाले अप्प्स को बंद करने के लिए कह रहा है. फिर यही बात उसने फ़ोन के स्क्रीन पर भी दोहराई, मैं समझ गया-इशारा फ़ोन बंद करने का है. और फिर भी उसने आँखें मूँद ली. मैंने इशारे को समझ अपनी आँखें लम्बे समय के लिए मूँद ली. तब मूंदे हुए आँख में मुझे स्पष्ट दिख रहा था कि जिसे मरा हुआ बताया गया है उसकी अभी-अभी बाजार में मुलाकात हुयी थी और यहाँ तो उसे एक दिन पहले ही मरा बता दिया गया है. और  वकील कान ने भी हाँ में हाँ मिला दी.

मेरे मित्र को जो ऊपर वाले के अवतरित होने के तरीकों की जानकारी मिली थी वह इसी अनिवार्य यंत्र से ही मिली थी.


मेरे सबसे अनिवार्य यंत्र ने मेरे दोनों आँखों और कानों को इस प्रकार संदेह में डाल दिया कि सच और झूठ का पता लगाना बहुत मुश्किल हो गया! यदि यह अनिवार्य यंत्र आपके पास भी है तो यकीन मानिए किसी दिन किसी हँसते-खेलते मित्र के घर मातम मनाने भेज देगा यह सबसे अनिवार्य यंत्र और फिर उसके बाद जो होगा...!

यदि आपकी दोनों आँखों को भ्रम हो जाये तो जान लीजिये वह भ्रम आँखों का नहीं सबसे अनिवार्य यंत्र में समाहित गोल-तिकोने हरे एप्प्स का है!

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