शुक्रवार, जून 05, 2020

मैं पर्यावरण हूं:कोमल चंद


मैं पर्यावरण हूं


         1

मैं पर्यावरण हूं
मैं सृजन करता हूं
मैं निर्माता और संहारक हूं
मैं रोग और औषधि हूं
मैं पर्यावरण हूं।

          2

मैं जल, जमीन, जंगल हूं
मैं साकार भी हूं निराकार भी हूं
मैं जन्म, जवानी, ज़र हूं
मैं दसों दिशाएं हूं
मैं पर्यावरण हूं।

        3

मैं चांद, तारा, सूरज हूं
मैं जल,थल, नभ हूं
मैं सृष्टि का कण-कण हूं
मैं आचार,विचार,संस्कृति हूं
मैं पर्यावरण हूं।

         4

मैं मित्र भी और शत्रु भी हूं
मैं जीवन का रंग हूं
मैं जागरण और निद्रा हूं
मैं सृष्टि का नियंता हूं
मैं पर्यावरण हूं।

        5

मैं एक चक्र हूं
मैं अनवरत चलता हूं
मैं क्षमाशील सरूप हूं
मैं महाकाल कुरूप हूं
मैं पर्यावरण हूं।

         6

मेरा संतुलन बिगड़े तो
मैं प्रलय विनाश हूं
मैं अति का अंत हूं
मैं सर्वशक्तिमान हूं
मैं पर्यावरण हूं।

         7

मैं कर्ता और अकर्ता हूं
मैं समाधिस्थ हूं
मैं आशुतोष हूं
प्राकृतिक संसाधन मेरे अंग है
मैं पर्यावरण हूं।

         8

स्वार्थी बन  निचोड़ो तो
मैं महाकाल महाविनाश हूं
मै बंधन मुक्त त्रिनेत्र हूं
मैं ही शाश्वत सत्य हूं
मैं पर्यावरण हूं।

         9

मुझे मत छेड़ो मैं मित्र हूं
तुम्हारे लिए कवच कुण्डल हूं
मेरी सुरक्षा में तुम्हारी सुरक्षा है
मैं ही अंतिम सत्य हूं
मैं पर्यावरण हूं।

           10

मैं प्रकृति रूप हूं
मैं मां की गोद हूं
मैं रिश्तो की डोर हूं
मैं तुम्हारी श्ववास हूं
मैं पर्यावरण हूं।

         11

हे मनुज सब छोड़कर
मेरी शरण में आजा
मैं नहीं तो सब निर्जन है
मैं ही आदि और अंत हूं
मैं पर्यावरण हूं।

(मेरी मौलिक रचना)

कोमल चंद कुशवाहा 
शोधार्थी हिंदी
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा 
मोबाइल 7610103589

1 टिप्पणी:

कोमल चंद कुशवाहा ने कहा…

धन्यवाद सोनू जी

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