बुधवार, जून 10, 2020

पावस ऋतु के आगमन में (कविता): मनोज कुमार

उमड़  -  घुमड़    कर     मेघ     चले, 
बिजलियाँ  कौंधते  तीव्र  चले बयार।
रिमझिम,    रिमझिम   पानी    बरसे,
धरती  में  हरीतिमा का नूतन बहार॥

वसुंधरा में  पावस  ऋतु के आने  से,
मानो    उष्णता    का    गृह   गमन।
सकल  महि में   जीव  अति  हर्षित,
प्रकृति  दृष्टिगोचर अति  मनभावन॥

हरित     रंग    रंजित    चहुँ    दिशि,
बहु  विटप  कानन  में   जाग    उठे।
शीतल   मंद    सुगंध    चले   समीर,
मानो विटप मंद पवन से  झूम  उठे॥

पंक   रज    में   सरोज    प्रस्फुटित,
मानो  कलियों के  अधरों  में  स्मित।
धरती हरित  पट पर  सुंदर लगती है,
मानो  नव नवहेलिन  सी  लगती है॥

धरा  तरु,  तृण   सुमन  से  अलंकृत
मानो हृदय से पुलक प्रकट करती है।
हरित   द्युति   धरती   की   रोली  में,
फिर  से  खुशियाँ  व्यक्त  करती  है॥

शस्य   श्यामला  धरा  की  परिधान,
पावस  ऋतु  में कीट पतंगा उड़ते हैं।
खग,    मृग,    अहि,   मोर,   पपीहा,
कानन में स्वच्छंद विचरण करते  हैं॥

धरा   की  तीक्ष्ण  तपन  मंद  हो गई,
मनभावन  पावस  ऋतु  के आने  से।
चराचर  को  शीतलता की  अनुभूति,
धरा   की   उष्ण   कसक  जाने  से॥

मेघ    की   अति   तीव्र   गर्जना   से,
वन   में    मयूर   नृत्य   पंख  पसार।
विपिन    में     कलियाँ     प्रस्फुटित,
फुदकती   चिड़िया   वृक्षों  के  डार॥

लता,  बेल   परस्पर   लिपट  रहे   हैं,
मानो खुशियों से  गला  लगा  रहे  हैं।
चातक  प्यास  कसक से  अति त्रस्त,
पावस  में   युगल  हृदय  होगा तृप्त॥

भूमि  पुत्र!   सिर    में   मुरैठा   बांधे,
भारतीय  परिधान  तन    में  धारित।
धरा को  धन-धान्य  से परिपूर्ण  हेतु,
उर्वर भूमि में  बीज कर रहेअंकुरित॥


         स्वरचित एवं मौलिक
       मनोज कुमार चंद्रवंशी
     विकासखंड पुष्पराजगढ़
   जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश

कोई टिप्पणी नहीं:

तनावमुक्त जीवन कैसे जियें?

तनावमुक्त जीवन कैसेजियें? तनावमुक्त जीवन आज हर किसी का सपना बनकर रह गया है. आज हर कोई अपने जीवन का ऐसा विकास चाहता है जिसमें उसे कम से कम ...