साक्षरता गीत
घर मां नई है पढ़इया, मैं कइसे करूं............2
परदेशिया की आई पतिया।
धक-धक मोरे करत है छतिया ॥
ना जाने का खबरिया, मैं कइसे
करूं ............घर मां.........
कहाँ मैं जाऊं का से पढाऊँ।
मन ही मन माँ मैं घबराऊँ॥
कोऊ नहिं धीर धरइया, मैं कइसे
........... .घर मां.............
यदि मैं बचपन में पढ़
लेत्यों।
पिया के पतिया खुद पढ़
लेत्यों॥
रहि-रहि होए पछतइया, मैं
कइसे करूं .......... .घर मां........
अब मैं जान्यों पढ़ब जरूरी।
नहिं ता जीवन रहे अधूरी॥
अबहूँ मिले कोऊ सिखइया, मैं
अबहूँ पढूं ............... घर मां........
लड़िकन का मैं खूब पढ़इहौं।
स्कूल मां मैं नाम लिखइ हौं॥
परिहौं गुरुजन के पइयां,
मैं ऐसे करूं ............... घर मां.............
गुरुजन के मैं मनिहौं कहना।
सब कोऊ माना भईया बहना॥
कहैं ‘कुशराम’ लिखइया, अब
ऐसे करूं ............... घर मां.............
© बी एस कुशराम
प्रधानाध्यापक,
माध्यमिक विद्यालय बड़ी तुम्मी
विकासखंड-पुष्पराजगढ़,
जिला-अनूपपुर
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