हास्य व्यंग्य
पढ़े-लिखे बहुतई, घूमे फिरे आगरा।
आन का गली बतावे,अपन होयआंधरा॥
हुल्लड़ मा कुल्हड़ फूटै,चार झन डाँड़य।
नकटा के नाक कटै,अढ़ाई बिता बाढ़य॥
लबारी के बोलइया, तीन का तेरह बतावत थे।
अपठ के गिरइया,सुरुज का दिया दिखावत थे॥
चुल्हवा का छोंड़ के, गोरसी का खोवय।
करनी का बिगाड़ के, मूड़ धर के रोवय॥
चलनी मा दूध दुहै, करम का दोह।
कांदो मा पथरा फेंकै, पथरा मा मोह॥
गरीब के कथरी का, अपन रजाई म तउलत थे ।
अपनै लगाए रूखवा का, बने हंसिया म पउलत थे॥
कांदो म लोटर के, स्वच्छता के नारा लगावत थे।
सौ चूहे खाके बिलइया, मानवता के धारा बहावत थे॥
रचनाकार:
- आपसे अनुरोध है कि कोरोना से बचने के सभी आवश्यक उपाय किये जाएँ
- बहुत आवश्यक होने पर ही घर से बाहर जाएँ, मास्क का उपयोग करें और शारीरिक दूरी बनाये रखें।
- कम से कम 20 सेकंड तक साबुन से अच्छी तरह अपने हाथों को धोएं। ऐसा कई बार करेआपकी
- रचनाएँ हमें हमारे ईमेल पता akbs980@gmail.com पर अथवा व्हाट्सप नंबर 8982161035 पर भेजें। कृपया अपने आसपास के लोगों को तथा विद्यार्थियों को लिखने के लिए प्रोत्साहित करने का कष्ट करें।
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