गिला नहीं कि तुम हमें कम मिले
दोगुनी हुई खुशी जब भी हम मिले,
कांटे सजाते हैं गुलाब की आड़ में
कांटों से मिले हैं,जब भी हम मिले।
गमकने की आश में हम सींचते रहे,
फूलों की आड़ में गमले खींचते रहे,
हम रात-रात भर सोए नहीं और
वे हमारी ओर से आंखें मींचते रहे।
अपना मानने का गुनाह उठाते रहे,
जब भी वो बुलाते, हम जाते रहे
खैरोमगदम की फिक्र में हम रहे
और वो हमें हर वक़्त आजमाते रहे
हमारी मेहनत का एक दिन फल मिले
सोचा, आज नहीं तो बेशक कल मिले
समस्याओं से जूझना शान है हमारी
हमारा मकसद है इसका कोई हल मिले।
कहना था बहुत कुछ, हमने नहीं कहे,
उनकी गलतियों की सजा भी हम सहे
दूर हो जाएंगी एकदिन गलतफहमियां,
मगर इतनी दूर तक साथ हम न रहे।
हमने जुबां से कही वो दिल से लिये,
वो घाव समझे हम थे मलहम लिए
दूरियों ने दिखाना बन्द कर दिया यूं
अंधेरा समझते रहे जो थे हमारे दीये
सामने से आते देखा तो माथे में बल मिले,
जैसे उनके हजारों सवालों के न हल मिले
नफरतों की याद भी जाते ही जाती है,
मगर क्यों? हल न आज, न कल मिले।
©सुरेन्द्र कुमार पटेल
26/04/2020
दोगुनी हुई खुशी जब भी हम मिले,
कांटे सजाते हैं गुलाब की आड़ में
कांटों से मिले हैं,जब भी हम मिले।
गमकने की आश में हम सींचते रहे,
फूलों की आड़ में गमले खींचते रहे,
हम रात-रात भर सोए नहीं और
वे हमारी ओर से आंखें मींचते रहे।
अपना मानने का गुनाह उठाते रहे,
जब भी वो बुलाते, हम जाते रहे
खैरोमगदम की फिक्र में हम रहे
और वो हमें हर वक़्त आजमाते रहे
हमारी मेहनत का एक दिन फल मिले
सोचा, आज नहीं तो बेशक कल मिले
समस्याओं से जूझना शान है हमारी
हमारा मकसद है इसका कोई हल मिले।
कहना था बहुत कुछ, हमने नहीं कहे,
उनकी गलतियों की सजा भी हम सहे
दूर हो जाएंगी एकदिन गलतफहमियां,
मगर इतनी दूर तक साथ हम न रहे।
हमने जुबां से कही वो दिल से लिये,
वो घाव समझे हम थे मलहम लिए
दूरियों ने दिखाना बन्द कर दिया यूं
अंधेरा समझते रहे जो थे हमारे दीये
सामने से आते देखा तो माथे में बल मिले,
जैसे उनके हजारों सवालों के न हल मिले
नफरतों की याद भी जाते ही जाती है,
मगर क्यों? हल न आज, न कल मिले।
©सुरेन्द्र कुमार पटेल
26/04/2020
2 टिप्पणियां:
अब यों उर आवत है सजनी,
मिल जाऊं गरे लग के छतिया।
मन की कर भांति अनेकन औ
मिल कीजिए थी रस की बतियां।
हम हारि अरी करि कोटि उपाय।
लिखी बहु नेह भरी पतियां।
जगमोहन मोहनी मूरति के बिना।
कैसे कटे दुख की रतिया।
ठाकुर जगमोहन सिंह की पंक्तियां प्रेम संपत्ति लता से
धन्यवाद आपका.
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