बाधाओं को बाँध सदा,
साहस से आगे बढ़ता है।
जीत उसी की होती है,
जो अपनी
मंजिल गढ़ता है॥
जो जन नित अभ्यास करे,
सपने
साकार हो जाते हैं।
जब तेज गुरु थाप धरे,
अपने आकार हो जाते हैं॥
जीवन में समस्या तो हर दिन,
निसंकोच खड़ी है।
जीत जाते हैं लोग,
जिनकी सोंच बड़ी है॥
सदाचार और संयम से,
जो गुरु
का मान बढ़ाता है।
जीत उसी की होती है,
जो आलस बलिदान चढ़ाता
है॥
रचना: डी. ए .प्रकाश खाण्डे शासकीय कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़ , जिला - अनूपपुर (मध्यप्रदेश)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें