कोरोना का प्रभाव
(सकारात्मक प्रभाव)
कोरोना के आने से।
प्रदूषण सारा बंद हुआ।
जल थल अंबर स्वच्छ हुआ।
शोर शराबा बंद हुआ।
जात धर्म भी टूट गया
कोरोना का ऐसा असर हुआ
ढोते थे जो रूढ़ियां।
उनसे हो गई दूरियां
तंत्र मंत्र जादू टोने नहीं रहे।
कोरोना की हवा में सब उड़ रहे।
पौराणिक ग्रंथों की मनगढ़ंत कहानियां।
कोरोना के आने से।
उनकी मिट रही निशानियां।
कोरोना की महामारी।
तोड़ दी अंधविश्वास की यारी।
यह भी ज्ञात हुआ।
सुख नहीं है धन दौलत की छाया में।
सुख तो बस रहे निरोगी काया में।
मंदिर मस्जिद गिरजाघर।
सब है झगड़े की जऱ।
कोरोना वायरस यह भी बता दिया।
मानव प्रकृति से डर।
नहीं अकाल मृत्यु मर।
(नकारात्मक प्रभाव)
कोरोना के डर ने।
सारे सुख छीन लिए।
गरीब मज़दूर कैसे जिए।
बस दुख ही दुख पिए।
हो गए पराए अपने जन।
दुखी हुआ है हर मन।
सारा विश्व गुजर रहा मंदी से।
लोग पड़े हैं घर में बंदी से।
बच्चों का बचपन बूढ़ों की चौपाले।
किसान का हल।
मजदूर की हंसिया।
कोरोना वायरस नहीं छीन लिया।
तीज त्योहार मनाना।
मुट्ठी भर दाने पाने को।
घर से बाहर जाने को।
बच्चों की भूख मिटाने को।
तरस रहे मजदूर।
लाचार हुए हैं सारे लोग।
भूख मिटाने को नहीं है भोग।
एक दूसरे से पूछ रहे सब।
यह आया कैसा रोग।
बिलख बिलख सब कहते।
यह है दुनिया का शोक।
कोई लो इसको रोक।
रचनाकार:
शोधार्थी हिंदी
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा मोबाइल
7610103589
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