गुरुवार, मई 07, 2020

जीवन की स्मृतियां:मनोज कुमार


*जीवन की स्मृतियां*
धन्य है! भारती के अमर सपूत जो वतन की सरहद में सीना तान खड़े थेl
भारत भूमि के वीर साहसी जो मुल्क की रक्षार्थ में बलि की बेदी में चढ़े थेll
इस धरा के वीर जवान जिन्होंने सर्वस्य मातृभूमि के लिए कुर्बान किये थेl
भारत मां की आंचल अपमान में जो जीवन का बलिदान दिये थेll
हम उन्हें स्मरण करेंl

धन्य हैं! वे पूर्वज जिनका यश अतीव अपारl
गाते नहीं उनके हमीं गुण, गा रहा  सारा संसारll
उनके अलौकिक दर्शन से दूर होता ह्रदय का तापl
अति पुण्य मिलता, मिटता हृदय का संतापll
हम उन्हें स्मरण करेंl

धन्य है! यह भारतभूमि जो जगत में सिरमौर हैl
सुषमा से मंडित क्या पुरातन देश  कहीं और है ?
जहां पर विद्या, कला, संस्कृति का भंडार हैl
जहां पर खनिज, संपदा, वैभव अतीव अपार हैll
हम उन्हें स्मरण करेंl

धन्य हैं! वें ऋषि-मुनि जिनके कीर्ति विशेष हैंl
जिनका अनुपम तपस्थली दर्शनार्थ विशेष हैll
जिन्होंने बंधन मुक्त जीवन को परमार्थ में तपायाl
निज अलौकिक अंतरंग में परम अनुभूति को पायाll
हम उन्हें स्मरण करेंl

धन्य है! इस भारतभूमि की गौरवशाली सभ्यता l
जिसके गोद प्रस्फुटित हुई संस्कृति की भव्यताll
जिसका अखिल विश्व में शिरोमणि छवि उत्कर्ष हैl
इसकी अनूठी विलक्षणता से सकल वसुंधरा में हर्ष हैll
हम उन्हें स्मरण करेंl

धन्य है! वे विभूतियां जो इस पावन धरा में जन्म लिएl
कालिदास, भवभूति आदि कवि रमणीय साहित्य सृजन किएll
नागार्जुन, आर्यभट्ट इस महि में अतुल योगदान दिएl
नाना सिद्धांतों का प्रतिपादन कर इस धारा में महान हुएll
हम उन्हें स्मरण करेंl

काव्य रचना –
मनोज कुमार चंद्रवंशी (शिक्षक)
विकासखंड पुष्पराजगढ़ जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश

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