एक तरफ़ महँगाई की
मार दूसरी तरफ आय में कटौती
कौरौना जैसी
वैश्विक महामारी से न सिर्फ देश बल्कि लगभग सम्पूर्ण दुनिया अपने घरों मैं कैद हो
गयी। देश में एक माह तक आर्थिक, वाणिज्यिक,
उत्पादन एवं निर्माण की गतिविधियां बन्द रहीं। आपातकालीन को छोड़कर स्वास्थ्य सुविधाएं भी
कार्यालय, सब्जी-फल-फूल और कृषि उपज मंडियां भी बन्द रहीं, रोजमर्रा का जनजीवन ठप रहा। कुछ शर्तों के साथ आज से ग्रामीण इलाकों में राहत प्रदान की गई है।
उत्पादन एवं निर्माण की गतिविधियां बन्द रहीं। आपातकालीन को छोड़कर स्वास्थ्य सुविधाएं भी
कार्यालय, सब्जी-फल-फूल और कृषि उपज मंडियां भी बन्द रहीं, रोजमर्रा का जनजीवन ठप रहा। कुछ शर्तों के साथ आज से ग्रामीण इलाकों में राहत प्रदान की गई है।
मैंने हमारे शिक्षक साथियो से पूछा कि इस
लोकडॉउन से हमारे आसपास क्या- क्या
प्रभावित हुआ, आप क्या महसुस करते हैं? साथियों ने अपनी आर्थिक बचत, हमसे जुड़े दिहाड़ी कामगारों, घरों में सहयोग
आने वाली बहनों, लॉन्ड्री, सब्जी, सलूंन,ब्यूटी पार्लर, किराणा, और सीजनल काम करने वाले लोगों जैसे ज्युस
आइस्क्रीम, मेलों और साप्ताहिक
बाजार में छोटा काम करने वाले और रेहड़ी
गाड़ी लगाकर व्यवसाय वाले निर्माण कार्यों और बाजार तथा इन सब में सहायता करने करने वाले मजदूर और इनकी
सम्पूर्ण आर्थिक श्रृंखला प्रभावित हुई ।
सामान्य समझ की
बात है। एक माह में सभी आर्थिक गतिविधयां ठप होने से अगले वित्त वर्ष में जहां
उत्पादन में कमी आएगी, राजस्व
प्राप्तियों में भी गिरावट होगी। निजी क्षेत्र और बाजार का मुनाफा भी कम होगा, इस आर्थिक चक्र का प्रभाव हम पर होना स्वाभाविक
है।
कहने का आशय यह
है कि देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था बैपटरी हो गई है एवं अगले वित्त वर्ष में
इसमें विकास की अपेक्षा संकुचन की आशंका है। यह बात सोचने के लिए अर्थशास्त्री
होने की आवश्यक्ता नहीं है।
उत्पादन में कमी
के कारण मांग और पूर्ति का संतुलन बिगड़ेगा
और महंगाई में वृद्धि होने की आशंका सदा बनी रहेगी।
उत्पादन और
राजस्व वसूली में कमी के कारण केंद्र व राज्य सरकारों को अपने खर्चों में कटौती करना ही हैं। केंद्र
सरकार ने खर्चों में कटौती करने के क्रम
में सांसदों के वेतन में 30% की कटौती आगामी 12 माह एवं सांसद को प्राप्त होने वाले विकास
निधि पर 2 वर्ष के लिए रोक दी है। अब केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के
महंगाई भत्ते एवं पेंशनरों की महंगाई राहत की 18 माह तक मिलने वाली किश्त रोक दी हैं। लेकिन आश्चर्य की बात
है यह कटौती केंद्रीय सुरक्षा बलों पुलिस एवं केंद्र सरकार के स्वास्थ्य कर्मियों
पर भी की गई है। जो लॉकडॉउन के इस मुश्किल दौर में दिन-रात देश की सेवा कर रहे हैं।
राज्य सरकारें भी इसका अनुसरण करेंगी। कुछ
राज्य जैसे महाराष्ट्र, तेलंगना, राजस्थान में मार्च माह के वेतन में ही कटौती प्रारम्भ कर दी गई थी व केरल
सरकार तो 5 माह के लिए अपने
कर्मचारियों के वेतन से 20 % कटौती करने का
निर्णय लिया है। आप सभी जानते है मध्यप्रदेश में D.A. में वृद्धि जुलाई 2019 से नही हुई है, और अब जून 2021 तक नहीं मिलना तय है। आप जानते है कि 18 माह तक DA नही मिलने से मूल
वेतन का लगभग 124 % वेतन प्राप्त नहीं होगा और यदि 24 माह का DA भुगतान नही किया गया तो मूल वेतन का लगभग 244 % वेतन नहीं मिलेगा।
चूंकि सरकारें
इतना बड़ा कदम उठा रहीं है तो निजी क्षेत्र भी इसी तरह काम करेगा, यही नहीं वहाँ तो छटनी और रोजगार में कमी की भी आशंका है।
इसका सीधा सीधा
असर हमारी ख़र्च की आदत पर पड़ेगा और हमसे
जुड़ी आर्थिक श्रृंखला बुरी तरह प्रभावित हो जाएगी
कई लोगो के रोजगार छीन जाएंगे। खर्च में कमी आएगी मंदी से उबरने की सम्भावना
कम होती जाएगी ।
चूंकि सरकार
ऐसे मुश्किल वक्त में कड़े फैसले ले
सकती है और उसे व्यापक जन समर्थन मिलता है, लेकिन इस प्रकार से आम जनता के विरुद्ध फैसले लेने से सरकारों को बचना चाहिए।
कर्मचारियों का
प्रतिनिधि होने के नाते सरकारों से आग्रह है कि इस फैसले पर पुनर्विचार करें और
यदि यह निर्णय आवश्यक ही हो गया हो तो –
(1) सरकारें रोजमर्रा
से जुड़ी वस्तुओं जैसे किराना, पेट्रोल, खाद्यान्न, सब्जियों के दाम नियंत्रित करें, बस-रेल, बीमा, स्वास्थ्य, बैंकिंग सेवाओं के दाम अगले जून तक नही बढ़ने दें।
(2) सरकारें
सुरक्षाबलों, अर्द्ध सैनिक
बलों और कोरोना योद्धा के रूप में कार्य कर रहे
लोगों के महँगाई भत्ते की बढ़ोत्तरी पर किसी प्रकार की रोक न लगाएं।
(3) पेंशनरों को इस फैसले से मुक्त रखें।
(4) कर्मचारियों को आयकर में उतनी राशि का स्टेनडर्ड डिडक्शन प्रदान किया जाए जितना
महंगाई भत्ते का लाभ वे प्राप्त करते।
(5) EMI वसूली पर तीन माह की रोक के साथ साथ इस अवधि के ब्याज पर भी रोक लगाई जाए।
(6) राज्य कर्मचारियों से वृत्तिकर न वसूलें।
(7) सरकारें अपने विलासितापूर्ण खर्चो पर रोक
लगायें।
(8) बिजली, सड़क, पानी, स्वास्थ्य,
सुरक्षा, शिक्षा को छोड़कर कोई नया
निर्माण कार्य प्रारम्भ न किया जाए।
(9) बड़े उद्योगों को राहत पैकेज न देकर, लघु और कुटीर उद्योगों को राहत दें।
(10) गरीबों को अगले 18 माह का राशन निःशुल्क प्रदान किया जाए।
हम कर्मचारी और
देश का मध्यम वर्ग सरकार के प्रत्येक फैसले में उसके साथ है हमारी अपेक्षा है कि
सरकार भी हमारे साथ रहे। कुछ साथी कहेंगे कि सरकार मजबूत हाथों में बेशक सरकार मजबूत हाथों में है लेकिन हमारे हाथ
मजबूत होंगे तो हम सरकार को और मजबूत करेंगे।
सुरेश यादव
रतलाम/इंदौर
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