बुधवार, अक्टूबर 16, 2019

भेदभाव दूर करो:रमेश प्रसाद पटेल की कविता


भेदभाव
रमेश प्रसाद पटेल 
जग से भेदभाव समाप्त कर,
मानवता का अवतार करो 
कालरात्रि को पराजित कर 
जग में आलोक उदित करो 

भेद भाव आज विश्व के पथ में पड़े हुए हैं,
मानवता की राह रोक कर पर्वत अड़े हुए हैं।

भेद भाव बढ़ रही हो रही है देशों की बर्बादी,
आतंकवाद जड़ जमाया मारकाट की शादी।

जिओ और जिलाना सीखो, 
कभी ना अहंकार करो। 
कालरात्रि को पराजित कर, 
जग में आलोक उदित करो।

जब तक भेदभाव संपूर्ण जग से नहीं मिटेगा,
संघर्ष हमेशा बढ़ता जाए और न चैन मिलेगा।

सुख सुलभ न्यायोचित, हर मानव को न मिले,
सुमति न हो, कोलाहल अग्नि की तुषार मिले।

यह सुख सुलभ सबको मिले, 
सब मिलकर दीप दान करो। 
कालरात्रि को पराजित कर, 
जग में आलोक उदित करो। 

धरती में पैदा हुए, सब धरती के लाल हैं,
ऊंच-नीच का भेद रख बनते छत्रपाल हैं।

सब मिलजुल कर आपस में सुख भोग करो,
भेदभाव मिटाकर  मानव का कल्याण करो।

धरती, अंबर, वायु, जल का,
तुम सब मिल वरण करो 
कालरात्रि को पराजित करो 
जग में आलोक उदित करो 

अगर भेदभाव ना हो, मानव से मानव का,
मनमोहक नया दृश्य दिखेगा इस भाव का।

हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई सब एक बनो,
लाओ एक नई दिशा और प्रतिभावान बनो।

सब एकता के गीत को,
सब मिलकर गुणगान करो। 
कालरात्रि को पराजित कर, 
जग में आलोक उदित करो।
रचना:रमेश प्रसाद पटेल, माध्यमिक शिक्षक 
पुरैना, ब्योहारी जिला शहडोल (मध्यप्रदेश)
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