उठ जाग धरा की गहरी निद्रा में सोता इंसान,
बहुत बड़ी न बस छोटी सी बातों का रख ध्यान।।
जीवन पथ बाधाओं से, भरा स्वार्थ से भयावह ज्वाला,
त्याग दो स्वार्थपरता सभी, पहन लो मानवता की माला।
समझा नहीं यह तन होगा, चार दिनों का मेहमान,
बहुत बड़ी न बस छोटी सी बातों का रख ध्यान।।
क्या खा रहा उसका सही ढंग से कर ले पहचान,
प्राण घातक न हो, नहीं व्यर्थ है तेरा खानपान।
क्यों करता है अपने अमूल्य जीवन का नुकसान,
बहुत बड़ी न बस छोटी सी बातों का रख ध्यान।।
अपने ही तन में चलाया है, मौत का यह तीर,
जिससे तुमको दिखाया है, खून की बहती नीर।
अपनी स्वार्थपरता के चलते लेता सबके प्राण,
बहुत बड़ी न बस छोटी सी बातों का रख ध्यान।।
अपनाएगा अन्धविश्वास, रखेगा धर्म का लिवास?
बिना शिक्षा के तुम्हें न होगा ज्ञान का एहसास,
कोरोना से भी बढकर आएगा विषभरा तूफान।
बहुत बड़ी न बस छोटी सी बातों का रख ध्यान।।
प्रकृति से करता रहे प्रेम, सदा खुशियाँ ही आएगा
परिवार का हिस्सा इसे समझ,तेरा उद्धार हो जायेगा।
देख ले यह कोरोना का विष फैला है आसमान,
बहुत बड़ी न बस छोटी सी बातों का रख ध्यान।।
त्याग दो स्वार्थ ही समूल, जीवन में न करना भूल,
मानों शिवजी का है त्रिशूल जो नहीं अपने अनुकूल।
नहीं सुधरा अभी भी, जग में दिखेगा कब्रिस्तान,
बहुत बड़ी न बस छोटी सी बातों का रख ध्यान।।
प्रकृति की मर्यादा में चले श्री राम जी ने सन्देश दिया,
गोवर्धन उठा श्री कृष्ण जी ने भारी वर्षा से बचा लिया।
अच्छे इंसानियत से ही बन पायेगा देश महान,
बहुत बड़ी न बस छोटी सी बातों का रख ध्यान।।
ऋषि मुनियों ने की तपस्या, प्रकृति से घुल-मिलकर
सदा सुखी रहोगे आदर्शों के पथ में सब चलकर।
अब भी समय है. कर सकेगा अपना कल्याण
बहुत बड़ी न बस छोटी सी बातों का रख ध्यान।।
विज्ञान का पारखी बनने में सब ध्यान दीजिए,
वैज्ञानिक बन, हर मर्ज की दवा तैयार कीजिए।
प्रगति करते हुए तुम बन जाओ सर्व शक्तिमान,
बहुत बड़ी न बस छोटी सी बातों का रख ध्यान।।
रचना: रमेश प्रसाद पटेल, माध्यमिक शिक्षक
रचना: रमेश प्रसाद पटेल, माध्यमिक शिक्षक
पुरैना, ब्योहारी जिला शहडोल (मध्यप्रदेश)
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