चीन की मक्कारी और बेईमानी चाल ने,
ईर्ष्या और द्वेष भरे अहंकार ने।
दुराचारी और कलुष भरे विचार ने।
विश्व की आर्थिक प्रगति में चोट देकर,
सारे जग में हाहाकार मचा डाला है।।1।।
आर्थिक साम्राज्य को हथियाने की चाहत ने,
चीन के घिनौने और कपटी मनसाहत ने।
निर्दयी कठोर और स्वार्थी दुस्साहस ने।
सारे जग के आर्थिक प्रगति के ढांचे को,
कोरोना संक्रमण से तहस-नहस कर डाला है।।2।।
अपने स्वार्थ भरे अदृश्य साजिश से,
आर्थिक जगत में पिछड़ने के रंजिश से।
बढ़ते सुख-शांति अमन-चैन को देख,
उत्सव, त्यौहार, महफिल, विवाह तो क्या है।
हर किसी का जीना हराम कर डाला है।।3।।
बिना अस्त्र और बिना शस्त्र के ही,
अपनी साम्यवादी विचारधारा के विरुद्ध।
सदा वैश्विक मतभेद रखने वाला,
जीत लिया जन्म-जन्मान्तर का युद्ध।
अब तो प्रतिशोध सारा चुकता कर डाला है।।4।।
न किसी की शक्ति काम आ रही, न युक्ति,
न विकसितों की चलती, न अविकसितों की शक्ति।
सहत्रों को मिल चुकी जीवन से मुक्ति,
इसके आर्थिक लोलुपता के जंजाल ने।
सारे रथी और महारथियों का दिवाला निकाल डाला है।।5।।
पाकिस्तान को उकसाने वाला हरदम,
मित्रता का ढोंग दिखाने वाला हरदम।
आतंकवाद का पाठ पढाने वाला हरदम,
पाक को भी जग से अलग-थलग कर।
सस्नेह कोरोना का रस पिला डाला है।।6।।
नकली माल सप्लायर वाला नित्य,
सीमा अतिक्रमण में जब हुआ चित्त।
तब अपने ही लोगों को संक्रमित करने की ठानी,
वायरस छिपाय विदेशों में भेजी मनमानी।
इस बार उसने अपना असली रूप दिखा डाला है।।7।।
वैक्सीन बना सुरक्षित रखा जब तक,
विश्व में हाहाकार मचा नहीं तब तक।
फिर झट अपना उपचार कर लॉकडाउन हटा लिया,
बंद पड़े सारे कार्यों को पटरी पर कर लिया।
अपने मायाजाल से आर्थिक विश्व विजय कर डाला है।।8।।
संक्रमित हुआ जो, परिवार से भी हुआ जुदा,
मर गया जो, वह हुआ लावारिश गुमशुदा।
पिता,पुत्र से अलग, पुत्र परिवार से हुआ अलग,
लॉकडाउन के इस घड़ी में सभी हुए हैं अलग-विलग।
दाह-क्रिया, दशमीं-तेरहवीं भी नहीं होने वाला है।।9।।
इस कोरोना वायरस से अपनी रक्षा करना है,
साबुन से बार-बार हाथ धोना या सेनेटाइज करना है।
आवश्यकताओं को सीमित कर, घर भीतर ही रहना है,
संयम में रहकर, राष्ट्र के प्रति भक्ति भावना रखना है।
भुगतना पड़ेगा ही उसने जो गजब कर डाला है।।10।।
अब तो लॉक डाउन का पालन ही एक मात्र सहारा है,
घर के भीतर रहना ही सर्वथा गवारा है।
सभी से सहोदर सम्बन्ध रखना ही चारा है,
मीटर भर के डिस्टेंस में रहने से ही गुजारा है।
स्मरण उसी का करो जिसने सबको पाला है।।11।।
रचनाकार:राम सहोदर पटेल,एम.ए.(हिन्दी,इतिहास)
स.शिक्षक, शासकीय हाई स्कूल नगनौड़ी
गृह निवास-सनौसी, थाना-ब्योहारी जिला शहडोल(मध्यप्रदेश)
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