(1)
मिलकर दीप जलाएं
घना अंधेरा छाया है,कोरोना का खौफ समाया है,
बढ़ती संख्या हर रोज यहां,
कोरोना के रफ्तार को हमें
कमजोर बनाना है।
देश की शक्ति को जगाना है,
इसलिए मिलकर दीप जलाना है।
तामसी रात को दूर भगाना है ,
घर में रहकर असी- धार बनाना है ,
भ्रामरी को जगाना है,
इसलिए मिलकर दीप जलाना है।।
हे! देश के दु:खी जन,
संकल्प कपोल बन धीर -वीर,
अन्तिम होता है घर का द्वार,
दस्तक देता जब कोरोना का वार।
कोरोना का मुख दग्ध कराना है,
इसलिए मिलकर दीप जलाना है।।
घर में रहना-रहकर लड़ना, जितनी शक्ति
अपने प्राण को अपने पर काबू रखना है ,
देश को कोरोना मुक्त बनाना है,
इसलिए मिलकर दीप जलाना है।।
अपने देशवासियों को,
खुलकर फिर से जीना है,
उन्मुक्त गगन को छूना है,
सदा के लिए अपनो को पाने को,
अपनो से दूरी रखना है,
खुशियों का सेतु बना है,
इसलिए मिलकर दीप जलाना है।।
(2)
दीप जलाना है
दीप जलाएं आज हम,
सबका हो कल्याण।
समय रहेगा नौ बजे,
इसका रखना ध्यान।।
मानवता के रक्षार्थ ही,
करें सभी यह काज।
तम को हरने के लिए,
संकल्प करें हम आज।।
(3)
कोरोना से जंग, दीपक के संग
प्रोत्साहन का दीप जलाना है,
दिल से दिल को मिलाना है।
कोरोना को हटाना है,
मानवता को बचाना है।।
अभी लक्ष्य बाकी है मेरा,
अंतर्मन में करें उजाला।
हमें देश ने दिया बहुत है,
उसको तो कुछ देकर देखें,
मानवता के लिए सजाएं दीपमाला।
मानव को मानव से बचाना है,
समय सामान्य बनाना है,
मानवता के लिए दीप जलाना है।।
रचनाकार:
अंजली सिंह
उच्च माध्यमिक शिक्षक,
शा.उ.मा.विद्यालय भाद
जिला श्रोत समूह (हिंदी)
जिला अनूपपुर (मध्य प्रदेश)
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