बुधवार, जून 24, 2020

वीरांगना महारानी दुर्गावती:बी एस कुशराम


24जून को वीरांगना महारानी दुर्गावती की बलिदान दिवस है। इस अवसर पर उनकी श्रद्धांजलि में प्रस्तुत है यह रचना:-
वीरांगना महारानी दुर्गावती
दुर्गावती महारानी,वो खूब लड़ी मर्दानी॥
दुश्मन को हुई  हैरानी,वो खूब लड़ी मर्दानी॥
गढ़ महुबे की राजकुमारी।
साक्षात दुर्गा अवतारी॥
धनुष बाण और खड्ग कटारी।
शोभा देता हाथी सवारी॥
दलपत शाह की रानी,वो खूब लड़ी मर्दानी॥
   गढ़ मंडला के वैभव पन से।
   देख पड़ोसी जलते मन से॥
   बाज बहादुर किया आक्रमण।
   एक नहीं त्रय बार किया रण॥
हार के हुआ पानी पानी, वो खूब लड़ी मर्दानी॥
   दुर्गा को जब अकबर जाना।
   राज हड़पना मन में ठाना॥
   आसफ खां को भेजा मंडला।
   कहा-वहां पर कर दो हमला॥
उसे भी हरा दी रानी,वो खूब लड़ी मर्दानी॥
   दुबारा आसफ लड़ने आया।
   रानी फिर भी उसे हराया॥
   तीसरी बार धोखे से मारा।
   रानी को लगा बाण करारा॥
मूर्छित हो गई रानी,वो खूब लड़ी मर्दानी॥
  
 मूर्छा टूटी ठाकुर से बोली।

   उठने वाली है अंतिम डोली॥
   छूने न दूंगी रिपु को काया।
   खुद कटार ले छाती में धंसाया॥
कुशराम की है जुबानी,वो शहीद हो गई रानी।
दुश्मन को हुई  हैरानी,वो खूब लड़ी मर्दानी॥
Ⓒबी एस कुशराम बड़ी तुम्मी, मध्यप्रदेश
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