मेहनत करता रात
दिन,
मेहनतकश मजदूर।
मिलकर हक को खा
गए,
मालिक और हुजूर॥
कौन नही यह जानता,
शोषण है एक पाप।
देगा निश्चित एक
दिन,
मत भूलो ये श्राप॥
मेहनतकश की जब
कभी
लगी किसी को आह।
सच मानो इस बात
को,
मिली ना ढूंढे
राह॥
श्रम को श्रम
साधक सदा,
समझा अपना धर्म।
शोषण उसका मत करो,
पावन पुनीत यह
कर्म॥
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शिवानंद पटेल
जिला उमरिया
(म.प्र.)
मौलिक स्वरचित
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