कर उनकी जय-जयकार कलम तू
कर उनकी जय-जयकार कलम तू,
सरहद पर जान गंवाते जो।
जो मातृभूमि के सच्चे सपूत हैं,
निज भाल से थाल सजाते जो॥
अचल अथक कर्तव्य मार्ग पर,
हमरे सुख की खातिर जो।
अदम्य शूरमा भटमानी हैं,
रहते निडर मुखातिर जो॥
बीबी बच्चों का मोह त्यागकर,
मातृ धरणी से मोहे जो।
भारत माता का कर्ज चुकाने,
अनिमेष दृष्टि खल जोहे जो॥
हे! कलम दुहाई उनको दे तू,
अग्रिम कतार में रहते जो।
आन मान सम्मान बचाने,
है क्षुधा पिपासा सहते जो॥
बलिदान हुए सीमा रक्षण में,
खलदल हैं मार गिराये जो।
माता के अखण्ड सुरक्षा हित
दुश्मन की नींद उड़ाये जो॥
कर उनकी जय-जयकार कलम तू,
परस्वार्थ में स्वाहुति देते जो।
निजप्राण हथेली पर रखकर,
कोरोना मरीज को सेते जो॥
विकट कोरोना काल कलह पर,
निर्भय सेवा देते जो।
कहे सहोदर वे कर्मवीर बन,
जन्मभूमि हित जीते जो॥
कर उनकी जय-जयकार कलम तू,
देशभक्ति हित जीते जो॥
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