चीन को चेतावनी
हे! चीन तुझे क्या खबर नहीं,
सरदार, सुभाष के लाल हैं हम।
युद्ध भूमि में डट जाएं तो,
कालों के महाकाल हैं हम॥
हम शांति पुजारी हैं लेकिन,
संप्रभुता पर आंच ना आने दें।
यदि शत्रु घुसा सीमा अंदर,
फिर बचकर उसे ना जाने दें॥
हम भारत मां के सच्चे सपूत,
पीछे कदम ना मोड़ेंगे।
जोर जबरदस्ती जो कीन्हां,
तो काबिल तुझे ना छोड़ेंगे॥
है गीदड़ तू अज्ञानी अति,
जो सोता सिंह जगाया है।
समझ यही अब आता है,
तेरी शामत तूने बुलवाया है॥
सन बासठ का भारत नहीं रहा,
अब गुमान तेरा हम तोडेंगे।
गलबा घाटी की बात तो क्या,
अंगुल भर भूमि ना छोड़ेंगे॥
तेरे उत्पादों के उपभोक्ता बन,
हमने ही तुझे बढ़ाया है।
एहसान हमारा तुझ पर है,
यह तेरे समझ न आया है॥
पहले तूने कोरोना विष से,
जग को खूब रुलाया है।
छल छन्द कपट दुर्नीति से,
अब साम्राज्य बढ़ाने आया है॥
हे! कपटी, सुन ले अभी भी तू,
इरादा हड़प नीति का छोड़।
आंख दिखाने की कोशिश की
तो देंगे तेरा गर्दन मरोड़॥
हो सावधान विद्रोह छोड़,
वरना अब हमारी बारी है।
बहुत हो चुका नम्र निवेदन,
अब होगा मारा-मारी है॥
मेड इन चाइना बाहर कर,
मेड इन इंडिया अपनाएंगे।
गर सीमा पर दखल दिया तूने,
तो ईंट से ईंट बजायेंगे॥
तुझ पर विश्वास किया हमने,
इससे ही भाव बढ़ा तेरा।
तू नमक हरामी चाल चला,
नापाक इरादा साफ तेरा॥
तू उछल रहा किस बूते पर,
अभिमान तेरा हम तोड़ेंगे।
सहोदर का भाव बिगाड़ा तूने,
हर रिश्ता तुझसे तोड़ेंगे॥
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