(1) विरह वेदना
विरह वेदना क्या कहूं ?
स्वर नहीं है रागों में l
बहु कुसुम प्रस्फुटित है,
ओ सुमन नहीं है बागों मेंll
हे !प्रियतम कब आओगे?
उर मे तन्हा छाया है,
पिया के अनुराग मेंl
उषा की बेला कब ?आए,
अली गुंजन करे पराग मेंll
हे !प्रियवर कब आओगे?
गम की हयात में जी रही हूं,
रब कब? आएगा सावनl
घना मेघ घनघोर छाया है,
कौन? थामेगा दामनll
हे !साजन कब आओगे?
विकल है तन और मन,
मानो सरिता की मीनl
हे! नाथ दर्शन कब होगा?
कब उर होगा तल्लीनll
हे !प्राणनाथ कब आओगे?
राह निरख रही हूं,
मानों चंद चकोरl दृग से आंसू टपक रहे हैं,
निज कपोलों की ओरll
हे! स्वामी कब आओगे?
(2)पिया का आगमन
पिया आगमन के संदेश से,
हर्ष व्याप्त अपारl
मानो दिवाकर उदित हुआ,
सम चातक युगल की प्यारll
चित्त चंचल हो रहा है,
अंतस्थ में मिटा उदासीl उम्मीद की रश्मि घुती,
अब आएगी सुख की राशिll
अब आया वह शुभ पल,
खुशियां सज गई डोली मेंl अब मन अहलादित् हो गई,
कांति आ गई रोली मेंll
निज जीवन में कुसुम खिलेंगे,
निजआशा की मुस्कानl
जीवन में सुख दुख की चक्र चली
अवशेष है स्वाभिमानll
प्रमुदित हुआ स्वा चित्,
निज घट के अंदरl
हे ?नाथ ऐसी मिले,
मानो तरणी को मिला समंदरll
काव्य रचना~ मनोज कुमार चंद्रवंशी प्राथमिक शिक्षक संकुल खाटी एम भूगोल एवं अंग्रेजी साहित्य SET double NET
(किसी भी लेखक की योग्यता की पुष्टि ब्लॉगर टीम नहीं करती। यह सूचना लेखक के बताए अनुसार है)
03/04/2020
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