मंगलवार, जुलाई 07, 2020

'सावन आयो' (सवैया): मनोज कुमार

' सावन आयो ' (सवैया)

मनभावन   ऋतु   सुख  सुहावन,
सुरम्य  सावन  मास  अब आयो।
मनोहर     बरखा    रम्य    ऋतु, 
ललित     ललाम    उर    छायो॥

मंजुल    मेघ     श्यामल    वर्ण,  
नभतल   कारी  बदरिया  छायो।
शीतल,   मंद,   सुगंध  पुरवइया,
शनैः शनैः बह धरा चलि आयो॥

अवनि    रुचिर     धानी   चुनर,    
दिक्     दिगंत    आभा   छायो।
नव   नवहेलिन   सी   दृष्टिपात,
सकल चंचल चित्त  तृप्त भयो॥

काली     घटा    घनघोर   छटा, 
चँहु      दिशि    धूम     मचायो।
कदली,  आम्र,  जाम  बहु  तरु,       
मदमस्त पवन  सह  झूम गयो॥

शुचि   धरनि  पग  पंक  सुहावै,
चारु  पंकज   सर  खिल  गयो।
मृदुल    नलिन    कली   अलि,  
गुंजत    सबके   मन    भायो॥

प्रिय    सावन    मास    मिथुन,  
सकल    अंग  प्रत्यंग    हर्षाये।
रसिक रमण मास अवलोकित, 
अधर   मधुर   मंद   मुस्कुराए॥

सहयुगल  उर   मीत    सप्रीति, 
सावन     मास    मिलन  भयो।
अतीव  उछाह स्वघट अनुभूति,
अलौकिक  आनंद  घूँट पीओ॥

पावन   सावन   सुरम्य  महीना,
सब  शंभू  महिमा  बखान करै।
अखिल       ब्रह्मांड     चराचर,   
अतरंग    आमोद  प्रमोद  भरै॥

डोरी    बंद     चारू   कवरियाँ, 
भोले  रसिक भक्त स्कंध  सोहे।
रूद्र अभिषेक शुचि जलअर्पित,
केसरिया वसन बदन  मन मोहे॥

                    रचना✍
         मनोज कुमार चंद्रवंशी
     मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
पुष्पराजगढ़ जिला अनूपपुर(म0प्र0)
रचना दिनाँक-०६|०७|२०२०

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