महुआ देव
जय जय महुआ देव तुम्हारी
लीला अपरंपार है।
हम तुम्हें नमन करते
बारंबार हैं॥
कोई तुम्हें पकाकर खाता
कोई तुम्हें चबाके खाता।
कोई तुम्हारी रस को उठा
झकाझक पी जाता॥
तुम्हारे भक्त तुमको करते इंतजार हैं।
हम सब तुम्हें नमन करते
बारंबार हैं॥
जय जय महुआ देव तुम्हारी लीला अपरंपार है।
हम सब नमन करते बारंबार
हैं।
कोई तुम्हें खा गाना गाते,
कोई तुम्हें खा हँसते जाते।
कोई तुम्हें खा लेट जाते,
कोई तुम्हें खा गाड़ी से
लुढुक जाते॥
अमृत से भी ज्यादा करते
प्यार है,
हम सब नमन करते बारंबार है॥
जय जय महुआ देव तुम्हारी लीला अपरंपार है।
हम सब तुम्हें नमन करते
बारंबार है॥
बहुत से लोग तुम्हें
ढूंढते,
पाकर देवों जैसे पूजते।
तुम्हारी पोल नहीं खोलते,
पीकर तुम्हें हमेशा डोलते॥
तनधन की इज्जत नहीं बहुत होशियार हैं।
हम सब तुम्हें नमन करते बारम्बार हैं॥
रचना: कौशल प्रसाद पटेल
समाज सेवी
पुरैना , ब्योहारी
जिला शहडोल
(म. प्र.)
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3 टिप्पणियां:
बहुत ही सुंदर है
सराहनीय हैं
बहुत बढ़िया रचना है
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