युग प्रवर्तक, महापुरुष, महाज्ञानी संत था वो।
सीमित था न जिसमे कुछ ऐसा अनंत था वो।
सकल जगत में भारत को प्रस्तुत करने बाला,
भारत माँ का एकलौता बेटा विवेकानंद था वो।
बचपन से ही तेज़,प्रताप,महाप्रबल था वो।
पूरे भारतवर्ष का उगता सूरज नवल था वो।
जिसको दुनिया सदियों तक न भूल सकेगी।
ऐसा भौतिक, तार्किक, बौद्धिक बल था वो।
ईश्वर के परमसत्य का ज्ञान बताने बाला था वो।
धर्म अध्यात्म भक्ति का पाठ पढ़ाने बाला था वो।
भारतीय संस्कृति का सुगंध दुनिया मे बिखेरकर,
गुरु श्री परमहंस का सम्मान बढ़ाने बाला था वो।
योग राजयोग ज्ञानयोग ग्रन्थ से नई राह दिखाया।
धर्म आध्यत्म के आधार पर कर्म प्रधान बतलाया।
समस्त संसार को जीवन मार्ग दर्शन हेतु उन्होंने,
उठो जागो लक्ष्य मिलने तक रुको नही समझाया।
कुलदीप पटेल
1 टिप्पणी:
नीस
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