सोमवार, सितंबर 28, 2020

थैंक्यू टीचर: राम सहोदर



Thank You Teacher

“थैंक्यू टीचर”

तुम्हारे नाम की पूजा, मैं हरदम दिल से करता हूँ।

दिया जो ज्ञान का रोशन, सो थैंक्यू तेरा करता हूँ॥

है शिक्षक शिक्षा देने की कृपा मुझ पर दिखाई जो।

इसी से जीना जीवन की कला में, जान भरता हूँ॥

मैं थैंक्यू- थैंक्यू करता हूँ, सदा धन्यवाद करता हूँ।

दिया भण्डार बुद्धि का, सो साधूवाद करता हूँ॥

अँधेरे अंध ख्वाबो के अनैतिक अंध नीती से।

जगाया ज्योति दर्शन दे, वही एहसान करता हूँ॥

करूं धन्यवाद मैं तेरा या साधुवाद जी भरकर।

संवारा साज-सुख साहस सरस सब भोग करता हूँ॥

जनम जननी जगत में दे, जिताई जंग सारा है।

सकल जीवन सुधारा, जान डाला तेरा हे श्वास भरता हूँ॥

कृपा की दृष्टि यदि, तुम्हारी न होती  तो विकल रहता।

पड़ा शोषक के शोषण में सताया जाता रहता हूँ॥

मैं थैंक्यू कहता हूँ शिक्षक शिखर की सीख दीन्ही है।

जो खाते ठोकर शिक्षा बिना उन्हें याद करता हूँ॥

अकल के उल्लू बन बैठे, शरण शिक्षक न पाया जो।

बिताते पशु सा जीवन हैं उन्हें भी याद करता हूँ॥

तिमिर अज्ञान से निकला, ज्योतिर का राह दीन्हा जो।

इसी एहसान के बदले ह्रदय से थैंक्स करता हूँ॥

न होता साया यदि गौरव गुरुगण ज्ञान गुणपति का।

न जग का भान फिर होता यही मैं याद करता हूँ॥

तुम्हें हरदम सुमिरता हूँ, तुम्हे धन्यवाद करता हूँ।

हैं टीचर-टीच से तेरे दिकाऊ टिम-टिमाता हूँ॥

सहोदर सीख शिक्षण से शिखर श्रंगार जीवन का।

अनुग्रह हो सदा शिश  पर, यही फरियाद करता हूँ॥

रचनाकार: राम सहोदर पटेल, शिक्षक

शासकीय हाईस्कूल नगनौड़ी

निवास ग्राम-सनौसी, तहसील-जयसिंहनगर, जिला-शहडोल(म.प्र.)

 

[इस ब्लॉग में रचना प्रकाशन हेतु कृपया हमें 📳 akbs980@gmail.com पर इमेल करें अथवा ✆ 8982161035 नंबर पर व्हाट्सप करें, कृपया देखें-नियमावली] https://apaskibaatsune.blogspot.com/p/blog-page_21.html

शुक्रवार, सितंबर 18, 2020

मैं एक नारी हूँ: राम सहोदर


मैं एक नारी हूँ

मैं एक नारी हूँ, हाँ मैं नारी हूँ।
मैं ही जगत की अवतारी हूँ।
मैं अनेक रूप धारी हूँ। 
मैं ही माँ, मैं ही बहन, 
मैं ही बेटी बन जाती ससुरारी हूँ।
मैं ही भैया की कलाई को सजाती, 
बनती रक्षा, प्रेम पुजारी हूँ।
मैं ही माता- पिता की राजदुलारी हूँ ।
मैं सास-ससुर की वंश बढाने वाली,
पति के जीवन बगिया की फुलवारी हूँ।
बेटों को जनने वाली महतारी हूँ।
मैं नारी हूँ, हाँ मैं एक नारी हूँ।।

मैं मन बहलाने वाली जीजा की सारी हूँ।
गृहणी बन कुटुंब चलाती नारी हूँ ।
कभी न हारने वाली नारी हूँ।
मैं ही दुर्गा, मैं ही चंडी 
मैं ही शारदा छविधारी हूँ। 
मैं ही लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई 
पद्मा  राज कुमारी हूँ।
मैं ही सीता, मैं ही सावित्री 
मैं ही राधा प्यारी हूँ। 
मैं ही देवकी, मैं ही यशोदा आँख में पट्टी बंधी गंधारी हूँ।
मैं ही शबरी, मैं ही मीरा 
मैं ही द्रोपदी लाचारी हूँ।
मैं कुसुम हूँ, मैं हूँ काटा
मैं ही पुरुष के आधे की अधिकारी हूँ।
सुख-दुःख सब सहने वाली
प्रसव वेदना सहने वाली, 
दुष्टों के दुष्टदृष्टि से दहने वाली, 
अत्याचार पुरुष का सहने वाली,
बसुधा सी धैर्यधारी हूँ।
हाँ मैं एक नारी हूँ।।

किन्तु नहीं अनजान कभी मैं, 
बेबशी की सहती मार कभी मैं.
हूँ पुरुष बिना अधूरी मैं, 
मुझ बिन पुरुष अधूरा है,
पुरुष की सहगामी नारी हूँ।
मैं नारी हूँ, जीवन की अधिकारी हूँ ।
पुरुष मुझे है प्यारा, मैं भी उसको प्यारी हू।।
रचना: राम सहोदर पटेल, शिक्षक
शासकीय हाईस्कूल, नगनौड़ी, तहसील-जयसिंहनगर जिला शहडोल (मध्यप्रदेश) 
निवास ग्राम-सनौसी, थाना-ब्योहारी जिला शहडोल(मध्यप्रदेश)
[इस ब्लॉग में रचना प्रकाशन हेतु कृपया हमें 📳 akbs980@gmail.com पर इमेल करें अथवा ✆ 8982161035 नंबर पर व्हाट्सप करें, कृपया देखें-नियमावली

स्त्री (नारी) दोहे: राम सहोदर


स्त्री (नारी) दोहे

नारी तू अर्धांगनी कई तुम्हारा रूप।
माँ, बेटी है बहन तू, ममता का प्रतिरूप।।
बहू बने ससुराल की, बेटी बन पितु-मात।
पत्नी बन पतिदेव की, सेवत है दिनरात।।
सुत जन्मा जननी बनी, सहे प्रसव आघात।
दुःख-सुख सह संतान को, पाले ताम्बुल पात।। 
सदन दोउ रोशन करे, मैका- ससुरा गेह। 
सास-ससुर, माता- पिता करे सभी से नेह।। 
घर में है गृह लक्ष्मी, रन में चंडी जान। 
भक्ति में मीरा बनी, पतिब्रत सीता मान।।
नारी प्रेम खदान है, देवी के समरूप।
प्रेममयी घर को रखे, करे स्वर्ग  अनुरूप।
करो मान सम्मान यदि, जीवन सुखमय देत। 
अगर किया अपमान तो जीवन को हर लेत।। 
अक्षम इसे समझने की, कीन्ही यदि यूं भूल।
फिर तो तू मिट जाएगा, रावण के अनुकूल।। 
नारी यदि खुश हो गयी, देव सभी खुश होय। 
स्वर्ग सा सुन्दर घर बसे, दूर विपत्ति सब होय।। 
किसी क्षेत्र में कम नहीं, इनकी गणना होय।
पुरुषों से आगे सदा, क्षमता साहस दोय।।
इनके बिन संसार में, होवे न कोई काम। 
पुरुष न हो नारी बिना, न जग न कोइ धाम।। 
सकल चराचर की जननि , मादा से नर होय। 
कहत सहोदर सुन सखा, पूजनीय यह होय।।
रचना: राम सहोदर पटेल, शिक्षक
शासकीय हाईस्कूल, नगनौड़ी, तहसील-जयसिंहनगर जिला शहडोल (मध्यप्रदेश) 
निवास ग्राम-सनौसी, थाना-ब्योहारी जिला शहडोल(मध्यप्रदेश)
[इस ब्लॉग में रचना प्रकाशन हेतु कृपया हमें 📳 akbs980@gmail.com पर इमेल करें अथवा ✆ 8982161035 नंबर पर व्हाट्सप करें, कृपया देखें-नियमावली

सोमवार, सितंबर 14, 2020

राष्ट्रभाषा हिन्दी: देवीदीन चंद्रवंशी

राष्ट्र भाषा हिन्दी 

विद्या धन अर्जित कर, 
पण्डित हुए विख्यात। 
निज भाषा ज्ञान बिन, 
कोई न माने बात।। 
अंग्रेजी पढ़ कर भी, 
नहीं मिला सम्मान। 
बिन निज भाषा के, 
हुआ बड़ा अपमान।। 
कला और शिक्षा के क्षेत्र में, 
मिला ज्ञान विविध प्रकार। 
सम्पूर्ण विश्व में करे, 
निज भाषा की प्रचार।। 
न रंग चाहिए न रूप, 
बना नया प्रारूप।
प्रथम ठौर निज भाषा की, 
मानो इसे सम रूप।। 
ले संकल्प मिलकर सब, 
यही हमारा आशा है। 
करो सम्मान हिन्दी की, 
जन -जन की ये भाषा है।। 

                    घोषणा पत्र 
मै घोषणा करता हूँ कि देबीदीन चन्द़वँशी मेरा यह रचना मौलिक, अप्रकाशित एवंअप्रसारित है। किसी को परेशानी आती है तो रचनाकार स्वयं जिम्मेदार होगा। 

                  उद्देश्य 
भारत की राष्ट्र भाषा हिन्दी है। किसी दूसरे भाषा का उपयोग नहीं करना चाहिए और हिन्दी भाषा का सम्मान कर उसके आन, बान, सम्मान किसी प्रकार के ठेस नहीं पहुँचना चाहिए। हम संकल्प के साथ हिन्दी भाषा का प्रचार प्रसार करे।
हिन्दी दिवस के शुभ अवसर पर सादर समर्पित 
                      स्वरचित कविता 
                    देबीदीन चन्द़वँशी 
                     ग्राम-बेलगवाँ 
                   तह0  पुष्पराजगढ़ 
                     जिला - अनूपपुर 
                            म0  प्र0
                   मो0  8819059964
                    अतिथि शिक्षक 

राष्ट्रभाषा हिंदी -डी .ए.प्रकाश

🌷राष्ट्रभाषा हिंदी 🌷

राष्ट्र प्रगति की भाषा हिंदी,
जन-जन को है भाया |
राष्ट्रीय भाषा बनाने हिंदी,
जब संविधान सभा में आया ||

चौदह सितम्बर दिन था प्यारा,
सन उन्नीस सौ उनचास रहा |
गोपाल स्वामी ने दिया विचार,
हिंदी राजभाषा यह शंकर राव कहा ||

भाषाओं के कारण ही तो,
राज्यों का नव निर्माण हुआ |
राजभाषा आयोग बना तब,
हिंदी का गुणगान हुआ ||

काश्मीर से केरल तक,
जन प्रिय भाषा है हिंदी |
उषा से रजनी तक सब,
प्रिय जन बोलें हिंदी ||

पंत निराला और दिनकर का,
पावन हिंदी भाषा है |
कबीर तुलसी और सूर का,
हिंदी ज्ञान जिज्ञासा है ||

शिक्षा का स्तम्भ है हिंदी,
जन-मन को पावन करती है |
रस छंद अलंकार विभूषित,
हिंदी कविता रहती है ||

नौ राज्यों की मातृभाषा है,
हिंदी हृदय लगाते है |
अजर अमर हो हिंदी भाषा,
आज हिंदी दिवस मनाते हैं ||

✍🏼डी.ए.प्रकाश खाण्डे, अनूपपुर मध्यप्रदेश

"हिंदी राष्ट्र धरोहर है" (कविता): मनोज कुमार चंद्रवंशी

हिंदी राष्ट्र धरोहर है

हिंदी  संस्कृति  सुता बहु  भाषाओं की  जननी है,
हिंदी नव विवाहिता सदृश्य मस्तक में सोहे बिंदी।
हिंदी  भाषा  की  सुरम्य  लय, ताल, यति, गति है,
हिंद भूमि में मधुरस  सम  सरस  सुवासित हिंदी॥

हिंदी कोमल कविता, छंद, गजल, गीत सोहर है।
हिंदी भाषा सहज, सरस,सुवाच्य राष्ट्र  धरोहर है॥

हिंदी  कभी  स्वतंत्रता की  ज्वालंत  चिंगारी बनी,
हिंदी  से   हिंद  की  धरती   में  फैला  अति  हर्ष।
हिंदी  आंदोलन में  क्रांतिकारियों  का भाषा बनी,
हिंदी भाषा  से  कामयाब  हुआ  स्वतंत्रता संघर्ष॥

अलख जागृति का  मिसाल हिंदी  राष्ट्र धरोहर है।
हिंदी लेखनी की आवाज,जग में अति मनोहर है॥

हिंदी राष्ट्र की सुरम्य, सरल, सुहृद,सुग्राह्य  भाषा,
हिंदी    भाषा   अखिल   विश्व   में   सिरमौर  है।
हिंदी भाषा पीयूष बनकर बहती है जीवन तल में,
सुंदर, सुबोध भाषा, जग  में  क्या  कोई  और है॥

हिंदी भाषा अति मनभावन, हिंदी राष्ट्र धरोहर है।
हिंदी  भाषा   सुवाच्य,  सुलेख  अति  मनोहर है॥

हिंदी   कवि    वृंदो    का   लेखनी   की    भाषा,
हिंदी भाषा में साहित्य का अथाह वेग समाया है।
भारतेंदु  हरिश्चंद्र  हिंदी  में  साहित्य  सृजन  कर,
हिंदी  को  हिंद  में  उत्तुंग श्रृंग  तक  पहुंचाया है॥

हिंदी  जन-जन की  भाषा, हिंदी  राष्ट्र  धरोहर है।
हिंदी  प्रतिष्ठित, कीर्तिमान  विश्व   का  जौहर है॥

हिंदी भाषा  में  स्वराष्ट्र  का स्वाभिमान  छिपा है,
हिंदी भाषा का सर्वजन सहृदय  से करें सम्मान।
हिंदी राष्ट्र की विविधता को एक सूत्र में समेटी है,
विश्व  में  हिंदी  को  नहीं  होने  देना है अपमान॥

अंतःकरण की यही पुकार, हिंदी  राष्ट्र धरोहर है।
हिंदी भाषा सरल,सुबोध,जग में अति मनोहर है॥
  -------------------------0------------------------
हिंदी दिवस के पावन अवसर पर सादर समर्पित।
                     ✍ रचना
               स्वरचित एवं मौलिक
               मनोज कुमार चंद्रवंशी
                      (शिक्षक)
           जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
           रचना दिनांक-13/09/2020

हिंदी दिवस-स्पर्धा नहीं उत्सव: राम सहोदर पटेल

अमरवाणी से जन्मी हिंदी हिंदुस्तान की।
डमरु शिव का स्वर देकर इसकी पहचान की।। 
हिंदी दिवस चौदह सितंबर आया है अवसर।
इसे महोत्सव रूप दे पूर्ण करें अरमान की।।1।।
कोई भाषा हिंदी से स्पर्धा कर नहीं सकती।
इससे अनुपम अन्य भाषा हो नहीं सकती।
हिंदी है व्यापक विश्व में साम्राज्य है करता।
यह पूर्ण है तुलना किसी से हो नहीं सकती।।2।।
सभी छुटपुट भाषाओं की जननी है यही।
हम भारतीयों का सम्मान गौरव है यही।।
मुनि पाणिनि के व्याकरण से है सजा यह।
काव्य के अभिव्यक्ति का आधार है यही।।3।।
हिंदी अन्य सभी भाषाओं की रानी है।
चंदजनों को अंग्रेजी बनाई दिवानी है। 
टेक्नोलॉजी युग ने इंग्लिश को मान दिया।
पूर्ण संकल्प से हिंदी की उत्थान करानी है।।4।।
हम हिंद के निवासी हिंदी है पहचान।
प्रेम हमारा इससे गहरा यही हमारी शान।
सम्मान बढ़ाएं इसका यही हमारा नारा।
जन-जन की भाषा हिंदी हो, है यही अरमान।।5।।
दफ्तर के सब  कामकाज हिंदी में करवाएं।
उत्थान कराएं हिंदी को रोजगारोन्मुखी बनाएं। 
मातृभाषा हमारी है नाज हमें है हिंदी पर।
राष्ट्रभाषा के साथ जनभाषा इसे बनाएं।। 6।।
है सरस सरल भाषा समझ सभी को आती।
हर भारतीय के दिल में ऐक्यभाव प्रकटाती।
काव्याभिव्यक्ति में है सफल, सशक्त व न्यारा। 
फिल्म,गीत, संगीत इसी में सबको भाती।।7।।
संवैधानिक भाषा है, इस्तेमाल आसान।
अनपढ़ भी बोलें, इसे करें सहज पहचान।
मेलजोल की भाषा यह प्रेम प्रतीक कहाये।
जन मन को मोहित करें सीख सके आसान।।8।।
शब्दकोश अनंत हैं, भावनाएं अनंत हैं।
माधुर्य से ओतप्रोत सदाबहार बसंत है।
अनमोल उपहार यह उन्नति का द्वार यह।
साज है श्रृंगार है प्रसार्य दिग दिगंत है।।9।।
भाषा सभी महान है हिंदी फिर सरताज है।
भारत का कल्याण तभी हिंदी का राज है।
सहोदर भाव प्रकट करें इससे हो सब काज है।
शिव का कृपापात्र मणियों का मणिराज है।।10।।
रचना: राम सहोदर पटेल, शिक्षक
शासकीय हाईस्कूल नगनौड़ी, थाना-ब्योहारी, जिला-शहडोल( मध्यप्रदेश)। 
निवासग्राम-सनौसी, थाना-ब्योहारी, जिला-शहडोल (मध्यप्रदेश)

शुक्रवार, सितंबर 11, 2020

हिंदी भाषा: देवीदीन



हिन्दी भाषा 

प्रस्तावना-हर देश का कोई न कोई राष्ट्र भाषा होती है। एवं राष्ट्र भाषा होना अति आवश्यक है। जिससे अपनी संस्कृति, परम्परा, गौरव को एक डोरी में व्यवस्थित रखे, किसी भी राष्ट्र की भाषा जीवित प्राणियों को भाव प्रकाशन का एक साधन है। मानव जिसकी सहायता से अपने भावो तथा विचारों को व्यक्त करता है, अदान-प्रदान करता है, उसको भाषा कहते हैं। किसी भी राष्ट्र की भाषा उसकी संस्कृति विरासत को चिन्हित करता है। हमारे देश की राष्ट्र भाषा हिन्दी है। जो सम्पूर्ण विश्व मे राष्ट्र भाषा के रुप में लोक प्रिय है 

हिन्दी भाषा का विकास 

हिन्दी नाम से आज जिस बोली समूह का बोध होता है उसमे 1000 वर्ष से उपयोग में आ रही, बिहार से राजस्थान और हिमांचल प्रदेश, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ तक के विशाल क्षेत्र में बोली जाने वाले अनेक उप भाषा तथा बोली शामिल है। 

हिन्दी भाषा का विकास जब देश स्वतंत्र नही हुआ था। उसी समय से मानते है कि  हिन्दी भाषा व उर्दू मिश्रण रहा। 

जिसमे हिन्दी भाषा का विकास पूर्ण रूप से रुका हुआ था। उर्दू भाषा का प्रचलन सर्वाधिक रहा। इसके पश्चात हमारा देश स्वतंत्र हो गया। 1950 में सविंधान का गठन हुआ हिन्दी भाषा को संविधान में 14 सितम्बर 1953 को हिन्दी को संघ के राज भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ। 

भारतीय अनुच्छेद 343 में रखा गया। उस दिन से 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रुप में मनाते चले आ रहे हैं। 

      हिन्दी भाषा का वर्तमान स्वरुप

भारत में हिन्दी भाषा का सर्वाधिक लोक प्रिय है, क्योकि भारत को बहुभाषी कहा गया है। भारत देश में सर्वाधिक हिन्दी का प्रयोग करते है। जब यह देखा गया कि विश्व में हिन्दी भाषा बोलने वालो की संख्या 52/रहे तो हिन्दी को राष्ट्र भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ। जो अब तक निरंतर बना है। भारत में जन्म लेकर अन्य भाषा जैसे अंग्रेजी का सर्वाधिक प्रयोग करते हैं, ये उनकी भूल है क्योकि जिस देश का अन्न-जल ग्रहण करते हैं उस देश के आन-बान, सान मेंकिसी प्रकार के ठेस नहीं पहुँचना चाहिए। क्योकि हम हिन्दू, हिन्दी, हिन्दुस्तान में है। 

            उपसंहार 

किसी भी देश के राष्ट्र भाषा उस देश की गौरव का प्रतीक होता है। हिन्दी भारत का राष्ट्र भाषा है जो एक साथ में संस्कृति एवं समृध्दि को पिरोया है। हमे गर्व करना चाहिए कि हिन्दुस्तान में जन्म लेकर हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार में तन मन से जन-जन तक पहुँचाये ।

          जय हिन्द जय भारत 

           शीर्षक-राष्ट्र भाषा हिन्दी 

                    निबंध 

            देबीदीन चन्द़वँशी 

              तह0 पुष्पराजगढ़ 

             जिला - अनूपपुर 

                   म0प्र0

        मो0 8819059964

         अतिथि शिक्षक 

              घोषणा पत्र 

मै घोषणा करता हूँ कि देबीदीन चन्द़वँशी मेरा यह रचना मौलिक, अप्रकाशित एवंअप्रसारित है। किसी प्रकार के परेशानी आती है तो रचनाकार स्वयं जिम्मेदार होगा। 

उद्देश्य -भारत के राष्ट्र भाषा हिन्दी है। हिन्दी भाषा के महत्व के बारे में निबंध के रूप में प्रस्तुत किया हूँ। 

बुधवार, सितंबर 09, 2020

नारी सम्मान: राम सहोदर

नारी सम्मान(गजल):राम सहोदर
ये नारी शक्ति होती है, ये नारी शौर्य होती है। 
यही माधुर्य होती है, ये नारी ओज होती है।। 
यही उत्साह भरती है, समझ की तेज होती है। 
ये हैं सम्मान के काबिल, ये नारी धैर्य होती है।। 
करो सम्मान नारी का, तो सब बात बन जाये।
करो सम्मान नारी का, तो रब भी खिलखला जाये।।
करो सम्मान नारी का, सकल धन सम्पदा आये।  
करो सम्मान नारी का, तो घर में लक्ष्मी आये।। 
ये पूजा योग्य होती है, सकल विपदा मिटाती है। 
अगर यह रूठ जाए तो सकल सुखदा भगाती है।। 
ये नारी तेरी जननी है, ये नारी मेरी जननी है।
ये नारी भूख सहकर के तेरा, जीवन सजाती है।।
ये नारी घर की लक्ष्मी है, यही है प्रेम की मूरत।   
यही सुख में हो या दुख में तेरा, सहचर निभाती है।। 
यही ममता की मूरत है, इसे कुल की जरुरत है। 
यही भईया की बहना है, कलाई को सजाती है।। 
ये नारी देवी की प्रतिमा है, जो कन्यादान हो जाती।
खिलाती दो जगह बगिया, सदन दोनों हंसाती है।।
ये नारी नर की जननी है नारायण की भी जननी है।
यही रण चंडी दुर्गा है, यही शारदा कहाती है।। 
न  इसके बिन कोई पूरा है, ब्रम्हा, विष्णु, शंकर भी। 
यही है गम को बिसराये, यही ऊँचा उठाती है।। 
ये नारी कम न मर्दों से, किसी भी क्षेत्र में मानो। 
अगर नारी न हो तो जिन्दगी,  बदहाल हो जाये।। 
किया अपमान नारी का विपत्ति सब, घर में आ जाये। 
सकल सुख चैन देती है, ये नारी खुश जो हो जाये।।
किया अपमान रावण ने, मिटा दी सोने की लंका।
किया अपमान दुर्योधन ने, तो कौरव दल ही मिट जाये।।
अगर यह रूठ जाए तो सकल सुख चैन लुट जाए।
अगर यह छूट जाए तो, ज़माने से भटक जायें।।
परिवार की गाड़ी चले है दोनों पहियों से।
अगर एक भी पहिया नहीं तो गाड़ी अटक जाए।।
इससे हित भी है तेरा, इसी से मान भी तेरा।
यही उत्कर्ष है तेरा, सफल अरमान हो जाए।। 
अगर पूजोगे नारी को तभी सुख भोग पाओगे। 
अगर पूजा नहीं कीन्हा विपत्ति तूफान आ जाये।।
सहोदर राय यदि मानो, इन्हें सम्मान जी भर दो। 
अगर दिल जीत पाए तो, सकल सुख घर ही आ जाये।।
रचनाकार:- राम सहोदर पटेल,
शिक्षक, शासकीय हाईस्कूल नगनौडी, निवास ग्राम-सनौसी, थाना-ब्यौहारी, जिला-शहडोल (म.प्र.)

शनिवार, सितंबर 05, 2020

गुरु वंदना (कविता): मनोज कुमार चंद्रवंशी

🌹गुरु वंदना🌹

वंदन         को           आतुर,
रोली       अक्षत    चंदन   है।
परम    पूज्य   गुरुजनों    का,
शत  -  शत   अभिनंदन    है॥

गुरु    के    चरणारविंदो    में,
श्रद्धा     सुमन     अर्पित  है।
नतमस्तक   गुरु   चरणों   में,
तन,   मन,   धन  समर्पित है॥

अज्ञान    तिमिर   नाश   कर,
जीवन  में  सुपथ  दिखलाया।
प्रकाश   पुंज    विकीर्ण  कर,
सद् मार्ग में चलना सिखाया॥

गुरु अखिल ब्रह्मांड शिरोमणि,
परहित  में जीवन को तपाया।
ज्ञान गंगा का रसधार बहाकर,
जीवन   को सुरभित बनाया॥

दिव्य   ज्ञान   का  भंडार  गुरु,
शिष्य के अंतस  को गढ़ता है।
जीवन    को  ज्योतिर्मय  कर,
नव  नूतन   संस्कार भरता है॥

गुरु  जगत में  महिमा  मंडित,
जन - जन     के      उपकारी।
गुरु  ज्ञान  का  अथाह संमदर,
त्रैलोक्य   में   महिमा  न्यारी॥

अखिल विश्व में नभ  से ऊँचा,
गुरु  जगत   में   सूर्य  समान।
गुरु    है      त्रिलोक     दर्शी,
गुरुवर  है    धरा   में   महान॥

             ✍ रचना
         स्वरचित एवं मौलिक
        मनोज कुमार चंद्रवंशी
बेलगवाँ जिला अनूपपुर मध्यप्रदेश
[इस ब्लॉग में रचना प्रकाशन हेतु कृपया हमें 📳 akbs980@gmail.com पर इमेल करें अथवा ✆ 8982161035 नंबर पर व्हाट्सप करें, कृपया देखें-नियमावली

🌷 शिक्षक दिवस🌷:बी.एस. कुशराम

 
🌷 शिक्षक दिवस🌷
शिक्षक दिवस आज है,
  हम सबको  बड़ा नाज है,
    शिक्षक से ही   कायम है,
      गरिमामयी    समाज है।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन,
  इन्हें करें हम सब नमन,
    जन्मदिन है पांच सितंबर,
      शिक्षक दिवस   आज है।
शिक्षक युग निर्माता है,
  सभी को यही सिखाता है,
    सद्कर्म,सद् व्यवहार से,
      बन जाए सबके  काज है।
अभी कोरोना काल  है,
  शिक्षक का हाल बेहाल है,
    घर घर जाकर बताओ तुम,
      यह शासन की आवाज है।
"कुशराम"करता है आह्वान,
  शिक्षक का सब करो सम्मान,
    शिक्षक के दिव्य ज्ञान से ही,
      उभरेगा सभ्य समाज है,
        शिक्षक दिवस आज है।।
रचनाकार- बी.एस. कुशराम बड़ी तुम्मी
         जिला -अनूपपुर (मध्य प्रदेश)
[इस ब्लॉग में रचना प्रकाशन हेतु कृपया हमें 📳 akbs980@gmail.com पर इमेल करें अथवा ✆ 8982161035 नंबर पर व्हाट्सप करें, कृपया देखें-नियमावली

शिक्षक दिवस पर शिक्षक के सम्मान में:राम सहोदर

शिक्षक दिवस पर शिक्षक  के सम्मान में

ज्ञान का दान करे शिक्षक, सीख  देत समाज सुधार करे।

अज्ञान तिमिर सब दूर करे, बन ज्ञान का दीप प्रकाश करे॥

दे अक्षर  ज्ञान  अक्षय करके, आस्तित्व असीम अकार करे।

हर काम आसान करे जग का, जन जीवन भव्य श्रंगार करे॥

निज जीवन काहि जलाय सदा, जनमानस काहिं प्रकाश भरे।

सत्य सुमार्ग सिखाय सबहिं, सदबुद्धि  समर्थ सुधार करे॥

बंद कपाट कपाल को खोल के, शिष्य का कार्य आसान करे।

बिन गुरु न विद्या बुध्दि मिले, वह जीवन मार्ग प्रशस्त करे॥

गुरु ज्ञान बिना सन्मार्ग मिले नहिं, जीवन बेड़ा पार करे।

विद्या  के मंदिर ज्ञान बटे  तिन माहिं  गुरु  भगवान रहे॥

पितु-मात से बढ़कर मान धरे गुरु, न्याय का मार्ग दिखाय रहे।

सम्मान के काम करे शिक्षक, कर्तव्य करे कर्मठ रहे॥

सत्य व न्याय का मार्ग धरे  नित प्रेरण नव निर्माण करे।   

समाज सुधार सदा करके, सिख शीश है साया आशीष धरे॥

कर्तव्य हमारा बने इतना, गुरुदेव का शुक्र गुजार करें।

सम्मान करे शिक्षक दिन को, निज जीवन का उद्धार करें॥

सम्मान करें इनका हरदम, जिन जीवन जीने योग्य कियो।  

सम्मान करें इनका हरदम , जिन जग में हमहिं पहचान दियो॥

सम्मान करें इनका हरदम, जिन मिट्टी से स्वर्ण बनाय दियो।

सम्मान करें इनका हरदम, जिन चन्द्र व तारा का ज्ञान दियो॥

सच्चा गुरु सान्निध्य गये, पथ जीवन स्वर्ण सुधार दियो।

गुरु बिन मारग सूझ  पड़े नहिं, दानव पशुवत लोग जियो॥

कहत  सहोदर  जनम जनम गुरु, सीख की कर्ज उतार सके नहिं।

ईश  भी ध्यान धरे गुरु का,  सम्मान बखानत जात रुके नहिं॥ 

रचनाकार: राम सहोदर पटेल 

शिक्षक, शासकीय हाईस्कूल नगनौड़ी, गृह निवास-सनौसी,जिला-शहडोल(म.प्र.)

[इस ब्लॉग में रचना प्रकाशन हेतु कृपया हमें 📳 akbs980@gmail.com पर इमेल करें अथवा ✆ 8982161035 नंबर पर व्हाट्सप करें, कृपया देखें-नियमावली

मंगलवार, सितंबर 01, 2020

गो बलि महापाप:राम सहोदर

   

गो बलि महापाप

उपकार करे गाय हमारी है शान से।

संवृद्धि में सहयोगी हो मिल जुल किसान से॥

बैला जने हैं ताकती हल खीचे मान से।

मेहनत अथक है करता खेती में ध्यान से॥

हर इच्छा  करे पूरी,  है धेनू नाम से।

कहलाती कामधेनु रहे देवधाम से॥

दूध, दही, तक्रम घी, दें ईमान से।

पाले हैं जग को सारा, बछड़ा जनान से॥

हर अंग बेसकीमती धेनु के नाम से।

अस्थि, चर्म, मूत्र, मल होते हैं काम से॥

गोबर भी पूजा जाता गौरा के नाम से।

वांछित है फल को देती पूजे जो ध्यान से॥

हर इच्छा पुरी करती धेनु ईमान से।

गोधन है कृष्ण प्यारी गोपाल नाम से॥

गोधन से गोपी गोरस ग्वाले गुमान से।

गोकुल में गोधन पूजें  मुरली की तान से॥

हिन्द पूजता है माता के नाम से।

बधकार  पूजता है पूजे है प्राण से॥

कैसी बिडम्बना है द्विविधा के प्लान से।

उपकार का बकसीस चुकाती है जान से॥

गो बलि का पाप  त्यागो जीवन समान से।

रहम करो पशु पर मत खेलो प्राण से॥

रूढ़ीवादी तर्क को निकालो है ध्यान से।

शिक्षा की राह मान निकल अंधज्ञान से॥

कहता सहोदर जग में रहना ईमान  से।

पूज्यनीय धेनु पूजो स्वाभिमान से॥ 

रचनाकार: राम सहोदर पटेल 

शिक्षक, शासकीय हाईस्कूल नगनौड़ी, गृह निवास-सनौसी,जिला-शहडोल(म.प्र.)

[इस ब्लॉग में रचना प्रकाशन हेतु कृपया हमें 📳 akbs980@gmail.com पर इमेल करें अथवा ✆ 8982161035 नंबर पर व्हाट्सप करें, कृपया देखें-नियमावली]