शनिवार, सितंबर 05, 2020

गुरु वंदना (कविता): मनोज कुमार चंद्रवंशी

🌹गुरु वंदना🌹

वंदन         को           आतुर,
रोली       अक्षत    चंदन   है।
परम    पूज्य   गुरुजनों    का,
शत  -  शत   अभिनंदन    है॥

गुरु    के    चरणारविंदो    में,
श्रद्धा     सुमन     अर्पित  है।
नतमस्तक   गुरु   चरणों   में,
तन,   मन,   धन  समर्पित है॥

अज्ञान    तिमिर   नाश   कर,
जीवन  में  सुपथ  दिखलाया।
प्रकाश   पुंज    विकीर्ण  कर,
सद् मार्ग में चलना सिखाया॥

गुरु अखिल ब्रह्मांड शिरोमणि,
परहित  में जीवन को तपाया।
ज्ञान गंगा का रसधार बहाकर,
जीवन   को सुरभित बनाया॥

दिव्य   ज्ञान   का  भंडार  गुरु,
शिष्य के अंतस  को गढ़ता है।
जीवन    को  ज्योतिर्मय  कर,
नव  नूतन   संस्कार भरता है॥

गुरु  जगत में  महिमा  मंडित,
जन - जन     के      उपकारी।
गुरु  ज्ञान  का  अथाह संमदर,
त्रैलोक्य   में   महिमा  न्यारी॥

अखिल विश्व में नभ  से ऊँचा,
गुरु  जगत   में   सूर्य  समान।
गुरु    है      त्रिलोक     दर्शी,
गुरुवर  है    धरा   में   महान॥

             ✍ रचना
         स्वरचित एवं मौलिक
        मनोज कुमार चंद्रवंशी
बेलगवाँ जिला अनूपपुर मध्यप्रदेश
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2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर रचना सर गुरु पर आपके समस्त रचनाएं बहुत ही प्रभाव सील और आकर्षक होते हैं और प्रेरणादाई भी होते हैं

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