मंगलवार, सितंबर 01, 2020

गो बलि महापाप:राम सहोदर

   

गो बलि महापाप

उपकार करे गाय हमारी है शान से।

संवृद्धि में सहयोगी हो मिल जुल किसान से॥

बैला जने हैं ताकती हल खीचे मान से।

मेहनत अथक है करता खेती में ध्यान से॥

हर इच्छा  करे पूरी,  है धेनू नाम से।

कहलाती कामधेनु रहे देवधाम से॥

दूध, दही, तक्रम घी, दें ईमान से।

पाले हैं जग को सारा, बछड़ा जनान से॥

हर अंग बेसकीमती धेनु के नाम से।

अस्थि, चर्म, मूत्र, मल होते हैं काम से॥

गोबर भी पूजा जाता गौरा के नाम से।

वांछित है फल को देती पूजे जो ध्यान से॥

हर इच्छा पुरी करती धेनु ईमान से।

गोधन है कृष्ण प्यारी गोपाल नाम से॥

गोधन से गोपी गोरस ग्वाले गुमान से।

गोकुल में गोधन पूजें  मुरली की तान से॥

हिन्द पूजता है माता के नाम से।

बधकार  पूजता है पूजे है प्राण से॥

कैसी बिडम्बना है द्विविधा के प्लान से।

उपकार का बकसीस चुकाती है जान से॥

गो बलि का पाप  त्यागो जीवन समान से।

रहम करो पशु पर मत खेलो प्राण से॥

रूढ़ीवादी तर्क को निकालो है ध्यान से।

शिक्षा की राह मान निकल अंधज्ञान से॥

कहता सहोदर जग में रहना ईमान  से।

पूज्यनीय धेनु पूजो स्वाभिमान से॥ 

रचनाकार: राम सहोदर पटेल 

शिक्षक, शासकीय हाईस्कूल नगनौड़ी, गृह निवास-सनौसी,जिला-शहडोल(म.प्र.)

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